दरभंगा : स्थानीय रमेश्वरलता संस्कृत महाविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सहायता से निर्मित महिला छात्रवास एवं प्रशासनिक भवन का उद्घाटन बुधवार संस्कृत विवि के कुलपति डॉ देवनारायण झा ने किया. इसी क्रम में बिहार सरकार द्वारा सहायता प्राप्त पहुंच पथ का भी उद्घाटन किया गया.
इसी के साथ विवि अनुदान आयोग की सहायता से दो दिवसीय सेमिनार का भी उद्घाटन कुलपति ने किया. सेमिनार का विषय वर्त्तमान संदर्भ में श्रीमद्भागवत गीता की प्रासंगिकता के ऊपर प्रकाश डालते हुए कुलपति ने कहा कि गीता शिक्षा सभी धार्मिक संप्रदायों के लिए उपादेय है. यह देश काल, पात्र की सीमा से ऊपर है. यह सर्वकालिक है. ज्ञान भक्ति एवं कार्य के लिए दूसरा उदाहरण नहीं मिलता है. शिक्षण के सभी आयामों का आश्रय भी गीता ही है. साहित्य की सभी विधाएं इसमें सन्निहित है.
पूर्व कुलपति डा. उपेंद्र झा ने इसे उपनिषद की संज्ञा दी. कृ ष्ण में विविध रुपों का बड़ा ही शास्त्रीय वर्णन उन्होंने प्रस्तुत किया. डा. विमल नारायण ठाकु र ने अपने परिचयात्मक उदबोधन में कर्मयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गीता का कर्म योग आज भी प्रासंगिक है. इस मौके पर मन्नू लाल मिश्र उपायुक्त पटना क्षेत्रीय केंद्रीय विद्यालय संगठन, डॉ गोविंद झा, डॉ लक्ष्मी नाथ झा, डॉ पवन कु मार झा, आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ धनेश्वर झा के संयोजकत्व में छात्रों ने वैदिक मंगलाचरण एवं डॉ दयानाथ झा ने लौकिक मंगलाचरण का पाठ किया.