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रोजगार का जरिया भी बन सकता है शतरंज
दरभंगा : शतरंज खेलने से सिर्फ दिमाग ही नहीं तेज होता है बल्कि यह एक रोजगार का भी जरिया बन सकता है. अगर दक्षिण भारत की तरह बिहार में भी शतरंज को सरकारी प्रोत्साहन दिया जाये तो यहां के बच्चे भी विश्वनाथन आनंद की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार का नाम रौशन कर सकते हैं. […]
दरभंगा : शतरंज खेलने से सिर्फ दिमाग ही नहीं तेज होता है बल्कि यह एक रोजगार का भी जरिया बन सकता है. अगर दक्षिण भारत की तरह बिहार में भी शतरंज को सरकारी प्रोत्साहन दिया जाये तो यहां के बच्चे भी विश्वनाथन आनंद की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार का नाम रौशन कर सकते हैं.
उक्त बातें बुधवार को केएम टैंक फुलवारी लहेरियासराय स्थित डॉ़ प्रभात दास फाउंडेशन कार्यालय परिसर में राज्य स्तरीय मिथिला ओपन चेस टूर्नामेंट के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत करते हुए एमआरएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ़ विद्यानाथ झा ने कही.उन्होंने बताया कि दरभंगा के खिलाड़ियों को भी अगर उचित प्लेटफार्म मिले तो ये भी आगे बढ़ सकते हैं. टूर्नामेंट के चैंपियन मुजफ्फरपुर के खिलाड़ी अभिषेक सोनू को मल्टीमिडिया मोबाइल सेट पुरस्कार के रूप में दिया गया जबकि मधुबनी के गौतम कुमार को द्वितीय स्थान के लिए कलाई घड़ी प्रदान किया गया. वहीं तृतीय एवं चतुर्थ स्थान प्राप्त करने के लिए दरभंगा के अंगराज शर्मा व भूपनाथ को दिवाल घड़ी पुरस्कार के रूप में मिला.
नंदन तिवारी, विकास कुमार सहनी, अमित कुमार, सौरभ कुमार, पारस नाथ सहनी, साकेत चौधरी, शंभूशरण मिश्र, हिमांशू कुमार, गीतांशु गौरव, शुभम् कुमार, आऱ एऩ शुक्ला, अभिषेक कुमार सहनी, अजरुन कुमार, कुमार अक्षिता, अनुराग कुमार एवं राजन कुमार को पांचवें से बीसवां स्थान प्राप्त करन के लिए पुरस्कृत किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए फाउंडेशन के राज्य समन्वयक मुकेश कुमार झा ने कहा कि जल्द ही दरभंगा में रेटींग चेस टूर्नामेंट का आयोजन किया जायेगा. फाउंडेशन के द्वारा खिलाड़ियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जायेगी. मौके पर निर्णायक सत्यप्रकाश नायक, रामप्रसाद सहनी, अनिल सिंह, नीरज चौधरी, मनीष आनंद, रवीन्द्र चौधरी आदि भी उपस्थित थे.
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