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और नहीं मिला एंबुलेंस

कैदी के शव के लिए लेना पड़ा प्राइवेट का सहारा दरभंगा. उत्तर बिहार के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान डीएमसीएच के प्रबंधन ने मेडिसीन विभाग से पोस्टमार्टम विभाग तक शव को भेजने के लिए अपने हाथ खड़े कर दिये. मंडल कारा दरभंगा के कैदी मो हाफिज अख्तर के पुत्र मो अली अकबर के इलाज के दौरान […]

कैदी के शव के लिए लेना पड़ा प्राइवेट का सहारा दरभंगा. उत्तर बिहार के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान डीएमसीएच के प्रबंधन ने मेडिसीन विभाग से पोस्टमार्टम विभाग तक शव को भेजने के लिए अपने हाथ खड़े कर दिये. मंडल कारा दरभंगा के कैदी मो हाफिज अख्तर के पुत्र मो अली अकबर के इलाज के दौरान मौत हो जाने के बाद मेडिसीन विभाग से पोस्टमार्टम रूम तक ले जाने में निजी एम्बुलेंस का सहारा लेना पड़ा. मंगलवार की दोपहर मौत के बाद कागजी प्रक्रिया होने के बाद डीसीएलआर के मोबाइल से बात करने पर अस्पताल प्रबंधन ने असमर्थता जता दी. बाद में परिजन निजी एंबुलेंस की व्यवस्था कर शव को ले जा सके. रखरखाव के अभाव में ठप है सेवा डीएमसीएच के आपातकालीन विभाग परिसर में रखरखाव के अभाव में 1099 नंबर के दो शव वाहन ठप पड़े हैं. जानकारी के अनुसार सरकार की ओर से शव ढोने के लिए शव वाहन की व्यवस्था की गयी है. पूर्व में भी कई बार गरीब मरीजों को इसे लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. यहां तक कि कुछ परिजनों को तो चंदा एकत्र कर निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ा.

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