दरंभगा/पटना : बांग्लादेश की जेल में पिछले 11 साल से बंद एक व्यक्ति की रिहाई एवं सकुशल स्वदेश वापसी के लिए उसके परिजन दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक निराशा ही हाथ लगी है. बांग्लादेश की जेल में बंद वह व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार है और बिहार के दरंभगा जिले का रहने वाला है. वह एक गरीब परिवार से आता है.
दरभंगा के जिलाधिकारी त्यागराजन एसएन ने रविवार को बताया कि सतीश चौधरी के मामले (पहचान और भारतीय नागरिकता) को लेकर राज्य सरकार के निर्देश पर हायाघाट अंचल अधिकारी कमल प्रसाद साह ने जांच रिपोर्ट सौंप दी है और उसे गृह मंत्रालय को भेजा जा रहा है. दरभंगा जिले के अशोक पेपर मिल थाना क्षेत्र के तुलसीडीह मनोरथा गांव निवासी रामविलास चौधरी 12 अप्रैल 2008 को अपने पुत्र सतीश चौधरी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ काम की तलाश में पटना आये थे. 15 अप्रैल 2008 को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल परिसर में पंडाल का काम करने के बाद रामविलास जब अपने स्थानीय आवास पहुंचे तो सतीश घर पर नहीं था.
रामविलास चौधरी का अब निधन हो चुका है. सतीश के बारे में जब कोई जानकारी नहीं मिली तो उसके परिजन ने 8 मई 2008 को पटना के गांधी मैदान थाने में लिखित आवेदन दिया.
सतीश के छोटे भाई मुकेश चौधरी ने बताया कि वर्ष 2012 में बांग्लादेश रेड क्रॉस सोसाइटी से सतीश के ढाका जेल में बंद होने की जानकारी प्राप्त हुई. उन्होंने इसके बाद मुख्यमंत्री के जनता दरबार में गुहार लगायी तथा विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. मुकेश चौधरी ने बताया कि गत 28 जुलाई को बांग्लादेश स्थित भारतीय दूतावास से सतीश की तस्वीर व्हाट्सऐप के जरिए भेजी गयी थी और फोन पर हमसे उसके बारे में पूछताछ की गयी थी, लेकिन उसके बाद उनकी ओर से आगे की कार्रवाई को लेकर अभी तक कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है.
उन्होंने बताया कि बाद में पटना निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर से संपर्क साधने पर उन्होंने उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश को दो अगस्त को एक पत्र भेजा गया है. दफ्तुआर ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने उनके आवेदन को आगे की कार्रवाई के लिए जनहित याचिका शाखा को अग्रसारित कर दिया है.