दरभंगा/अलीनगर : रहमत और मगफिरत का महीना रमजानुल मुबारक गुरुवार से शुरू हो गया है. इसके आरंभ होते ही आम बालिग महिला-पुरुष मुसलमानों की दिनचर्या बदल गयी है. इस बदलाव का असर शहर से लेकर गांव तक में देखने को मिल रहा है. खासकर मुस्लिम आबादी वाले गांव की मस्जिदों में अचानक नमाजियों की संख्या काफी बढ़ गई है.
वहीं घरों तथा उनके दरवाजों से कुराने पाक की तिलावत की सदायें सुनने को मिल रही हैं. बच्चों के उत्साह का कोई ठिकाना ही नहीं रहा, मानो इनकी ईद हो गई हो. प्रायः मोहल्लों एवं ग्रामीण क्षेत्र में मासूम बच्चों के सिर पर रंग-बिरंगी टोपियां लिबास में विशेष रूप से कुर्ते-पायजामे पहने दिख रहे थे. मस्जिदों की दौड़ करने में भी वे पीछे नहीं रहे. बड़ों के साथ पूरी आस्था के साथ नमाजियों की सफों में खड़े होकर पांच वक्त की नमाज अदा कर रहे थे.
इफ्तार व सेहरी की तैयारी में जुटी रही महिलाएं: इधर शहर से लेकर गांव के बाजारों में अचानक फलों की खासकर खजूर, दूध, लच्छे व नान रोटी की बिक्री बढ़ गई है. लोग इफ्तार व सेहरी के सामान के तौर पर लेते दिखे. आम दिनों की भांति रमजान की यह पहली सुबह खासकर गृहणियों के लिए काफी बदलाव वाला रहा. कारण उन्हें पांच वक्त के नमाज अदा करने के साथ कुराने पाक की तिलावत भी करनी थी. साथ ही शाम होने से दो-तीन घंटे पहले इफ्तार, रात के खाने एवं सेहरी के व्यंजन भी तैयार करने थे.
अतः जहां प्रतिदिन सुबह होते ही साफ-सफाई के बाद महिलाओं को चौका-बरतन करना पड़ता था, वह बदल गया. सुबह उन्होंने नमाज और तिलावत को अदा करने का काम किया, तो चौका का काम शाम होने से काफी पहले संपन्न करने के लिए समय से पहले इस काम में लगना पड़ा.
दूसरे वर्ग आज से रखेंगे रोजा: एक कमी इस बार के पहले रोजे में रही कि राज्य भर में कहीं भी प्रत्यक्ष रुप से चांद नहीं देखा गया, किंतु इमारत-ए-शरिया फुलवारी शरीफ पटना एवं खानकाह मुजीबिया फुलवारी शरीफ ने चेन्नई एवं बेंगलुरु आदि जगहों पर चांद देखे जाने की तस्दीक के बाद उसकी पुष्टि करते हुए रोजा रखने का एलान कर दिया. इस कारण अधिकांश जगहों पर लोगों ने अपनी संस्थाओं का सम्मान करते हुए रोजा रख लिया. इधर इदारा शरिया सुल्तानगंज पटना की ओर से यह ऐलान किया गया कि कहीं से चांद देखने की शरीयत के मुताबिक पुष्टि नहीं हुई है, इसलिए रमजान मुबारक का पहला रोजा 18 मई से ही रखा जाएगा.
इस कारण इस संस्था से जुड़ा वर्ग शहर से लेकर गांव तक पहला रोजा नहीं रखा. 18 मई से ही इनके रोजे की शुरुआत होगी. जिन गांव और शहर के मोहल्लों में लोगों ने रोजा रखा है, वहां की मस्जिदों में 16 मई की देर रात तक रमजान मुबारक का खास इबादत नमाजे तरावीह अदा करते रहे. जहां लोगों ने रोजा नहीं रखा, वहां तरावीह भी शुरू नहीं किया गया है.
उल्लेखनीय है कि इस्लाम में यह महीना पवित्र माना गया है. इसमें रोजेदारों को रोजा रखकर तमाम बुराइयों से बचने एवं तौबा करने, दूसरों का सहयोग करने, सेवा करने, अन्न दान करने एवं इफ्तार कराने, इबादत व रियाजत में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने का हुक्म है.
माहे रमजान शुरू, लोगों में दिख रहा उत्साह: तारडीह. माहे रमजान शुरु होने से मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में चहल – पहल बढ़ गयी है. गुरुवार की अहले सुबह लोगों ने सेहरी की. इसके बाद रोजा रखा गया. बच्चे से लेकर बूढे तक में उत्साह दिख रहा है. ककोढा, बैका, इजरहट्टा, मछैता, महथौर, कैथवार, ठेंगहा, पोखरभिंडा, राजाखरबार, बिसहथ – बथिया आदि पंचायतों के मस्जिदों से सेहरी के बाद नमाज पढी गई.