दरभंगा : वर्षों तक शांत रहे प्रदेश की प्रशासनिक महकमा में अचानक 26 दिसंबर 2015 को हुई दो इंजीनियरों की हत्या ने भूचाल सा ला दिया था. पूरा प्रदेश सन्न रह गया था. विशेषकर शांत इलाका के रूप में चर्चित मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा में हुई इस घटना ने क्षेत्र में दहशत फैला दिया था. लिहाजा पुलिस महकमा ने इसे गंभीरता से लिया. तत्कालीन डीजीपी खुद गंभीर हुए. एसटीएफ को इसकी जांच में लगाया गया. जिला पुलिस ने तत्परता दिखायी और हत्याकांड के दो वर्ष व दो माह यानी 26 महीने में इस मामले का फैसला सुना दिया गया. पटना उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार मामले की प्रतिदिन सुनवाई हुई.
विदित हो कि 26 दिसंबर 2015 को घटित घटना को लेकर बहेड़ी थाना में अज्ञात लोगों के विरुद्ध कांड संख्या 270/2015 दर्ज किया गया था. पुलिस ने अनुसंधान में तेजी लाते हुए मुकदमा में 16 लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र समर्पित किया था. न्यायालय में इस मामले में 27 जून 2016 को आरोप गठन के पश्चात 11 जुलाई 2016 को अभियोजन साक्ष्य के लिए वाद निर्धारित किया गया था. इस मामले में 15 जुलाई 2017 को अभियोजन साक्ष्य बंद कर सभी आरोपितों का बयान दर्ज किया गया.
26 जुलाई 2017 को अदालत ने इस वाद को सफाई साक्ष्य के लिए निर्धारित किया. 7 सितंबर 2017 को अदालत ने सफाई साक्ष्य बंद करने का आदेश दिया तथा 8 सितंबर 2017 से मामले को बहस के लिए निर्धारित किया गया. अदालत में अभियोजन एवं बचाव पक्ष की बहस 12 फरवरी 2018 को संपन्न हुई. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने 26 फरवरी को निर्णय के लिए निर्धारित किया था. उस दिन दस आरोपितों को दोषी करार देते हुए सात मार्च को सजा की बिंदु पर सुनवाई के लिये तारीख मुकर्रर की थी, जिसके तहत बुधवार को सभी दोषियों को सजा सुनाई गयी.