सुविधा नदारद. पैथोलॉजिकल टेस्ट की भी व्यवस्था नहीं
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डीएमसीएच की इमरजेंसी में एक्स-रे तक की सुविधा नहीं
सुविधा नदारद. पैथोलॉजिकल टेस्ट की भी व्यवस्था नहीं दरभंगा : डीएमसीएच उत्तर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां दूसरे जिलों से भी बड़ी संख्या में मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं, जिसमें गंभीर रूप से बीमारों की संख्या भी खासी रहती है, बावजूद यहां इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है. आलम यह है कि […]
दरभंगा : डीएमसीएच उत्तर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां दूसरे जिलों से भी बड़ी संख्या में मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं, जिसमें गंभीर रूप से बीमारों की संख्या भी खासी रहती है, बावजूद यहां इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है. आलम यह है कि इमरजेंसी में एक्स-रे तक की सुविधा नहीं है. एक्स-रे कक्ष में महीनों से ताला झूल रहा है. पैथोलॉजिकल जांच का भी यहां प्रबंध नहीं है. लिहाजा रोगियों के इलाज में जहां परेशानी होती है. वहीं मरीजों को भी समस्या झेलनी पड़ती है.
यहां भर्ती होनेवाले मरीजों को अगर एक्स-रे की जरूरत होती है तो उन्हें सर्जरी भवन के उपरी तल पर बने एक्स-रे कक्ष जाना पड़ता है. वहां नित्य लंबी कतार लगी रहती है. इसलिये आकस्मिक अवस्था में परिजन को बाहर से एक्स-रे करवाना पड़ता है. फर्श पर लिटा करना पड़ता इलाज डीएमसीएच के इमरजेंसी में रोजाना करीब 60 गंभीर अवस्था में मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. इतनी संख्या में आने वाले मरीजों के लिए इमरजेंसी में केवल दो ही कमरे हैं, जहां सारी जांच प्रक्रिया सिमट कर रह जाती है. एक परीक्षण कक्ष व एक छोटा सा शल्य कक्ष है. रोजाना आने वाले मरीजों के लिए यह जगह छोटी पड़ जाती है.
दोनों कमरों में मरीजों के लिए महज 10 बेड लगे हैं जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है. अधिकतर मरीजों को वहां पर बेड नहीं मिल पाता है. फर्श पर लिटा कर ही चिकित्सक मजबूरन उपचार करते हैं. पूर्व में एमसीआइ ने डीएमसीएच के निरीक्षण में इमरजेंसी में इतनी कम जगह में चिकित्सा पर आपत्ति जताई थी. खड़े होकर चिकित्सक करते उपचार वहीं जूनियर चिकित्सकों के लिए भी बना कमरा बहुत ही छोटा है. इसमें तीन से चार कुर्सियां लगाई गयी हैं. अन्य चिकित्सक वहां खड़े होकर ही मरीजों का इलाज करने के लिए विवश होते हैं. कई बार चिकित्सकों ने इसकी शिकायत कॉलेज प्रशासन एवं अधीक्षक से की है. लेकिन अभी तक यह व्यवस्था जस की तस बनी हुई है. एक इसीजी मशीन से चलता पूरे अस्पताल का काम इमरजेंसी का एक्स-रे रूम कई महीनों से बंद पड़ा है उस में ताला लगा हुआ है.
चिकित्सकों के द्वारा मरीजों को एक्सरे करने की सलाह पर वह इकलौते एक्स-रे रूम सर्जरी भवन में जाते हैं, जहां पहले से ही लोग लाइन में खड़े होते हैं. अधिकांश मरीजों को एक्स-रे के लिए बाहर चक्कर लगाना पड़ता है.इसीजी जांच के लिए एक ही मशीन है. इसी से पूरे अस्पताल में मरीजों की इसीजी की जाती है. बीपी जांच के लिए केवल दो ही मशीन उपलब्ध हैं. वेंटिलेटर की सुविधा भी नहीं है. यहां दवाओं को रखने के लिए क्रेश ट्रॉली होना आवश्यक है, जिसमें जीवनरक्षक दवाएं एक जगह रखी रहती हैं. पैथोलॉजिकल जांच की कोई सुविधा इमरजेंसी में नहीं है. जांच कराने के लिए मरीजों को मेडिसिन विभाग के डोयन विभाग में जाना पड़ता है. गंभीर मरीज़ों के हर्ट को पंप करने के लिए डिफिब्रिलेटर मशीन यहां नहीं है. वेंटिलेटर की यहां कोई सुविधा नहीं है. मरीजों की जांच के लिए एबीजी मशीन भी यहां नहीं है
पांच दर्जन मरीज रोजाना होते हैं इमरजेंसी में भर्ती
मरीजों के लिए महज
10 बेड का ही है प्रबंध
1070 बेड वाले अस्पताल में मात्र एक इसीजी मशीन
वेंटिलेटर व हर्ट पंप करनेवाली डिफिब्रिलेटर मशीन नहीं
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