दरभंगा : एएसपी दिलनवाज अहमद की पहल पर मंगलवार को बिरौल थाना क्षेत्र के बेंक बलिया गांव निवासी राजू आचार्य और पत्नी मीनू देवी के जीवन में एक बार फिर से पुरानी खुशियां लौट आयी है. बताया जाता है कि बेंक बलिया गांव निवासी नूनू आचार्य के पुत्र राजू आचार्य की शादी 1 जुलाई 2009 को बड़े ही धूमधाम से हुयी थी.
शादी के कुछ दिन बाद से ही पति-पत्नी के बीच विवाद शुरू हो गया. पत्नी मीनू देवी ने पति व ससुरालवालों के विरूद्ध कोर्ट में दहेज उत्पीड़न का केस कर दिया. मामला हाईकोर्ट पहुंच गया. हाईकोर्ट में मई 2017 को दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद कोर्ट ने दोनों के बीच समझौता कराया दिया. वहीं कोर्ट ने दोनों को पति-पत्नी की तरह साथ रहने का आदेश दिया. कोर्ट के आदेश के बाद दोनों पति-पत्नी पटना से दरभंगा लौट आये. दरभंगा पहुंचने के बाद बिरौल जाने के लिये दोनों दिलावरपुर अवैध बस पड़ाव के समीप मंदिर में बस का इंतजार करने के लिये रूके. बताया जाता है कि इस बीच बिना बोले पति राजू वहां से भाग गया.
इंतजार के बाद पत्नी मीनू ने सदर थाना में पति के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी. दर्ज प्राथमिकी में उसने पति के विरूद्ध आरोप लगाया कि रात में सोये हुये हाल में छोड़कर पति सारा गहना लेकर चला गया. इधर जब पति राजू को इसकी जानकारी लगी तो वह भी सदर थाना पहुंच गया और पत्नी पर पानी पिलाने के बहाने नशा खिलाकर बेहोश करने के बाद रुपये लेकर भाग जाने का इल्जाम लगाते हुये प्राथमिकी दर्ज करा दी. इधर पति और पत्नी द्वारा एक दूसरे के विरूद्ध गंभीर आरोप लगाने को लेकर दर्ज प्राथमिकी के अनुसंधान में पुलिस की उलझने बढ़ गयी. मामला जब एएसपी के समक्ष आया तो उन्होंने समीक्षा के दौरान दोनों को एक साथ अपने कार्यालय में बुलाया. दोनों से कड़ाई से पूछताछ की गई. दोनों को न्यायालय के अवहेलना का भी डर दिखाया गया. इसके बाद सच्चाई सामने आ गई. पत्नी मीनू ने गलत केस करने की बात स्वीकर की. वहीं पति राजू ने भी स्वीकार किया कि केस के फांस में फंसने की डर से पत्नी पर झूठा केस करने की बात कही. इसके बाद एएसपी ने दोनों को न्यायालय के आदेश का अवहेलना का डर दिखाया. इसके बाद दोनों साथ रहने को तैयार हो गये. एएसपी दिलनवाज अहमद ने बताया कि अगर इस मामले में सही से सामाजिक पहल हुआ होता तो पति-पत्नी के बीच विवाद इतना आगे नहीं बढ़ता.