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कैदी वाली जिंदगी गुजार रहे कंसी के बाढ़पीड़ित
सदर : कंसी पंचायत के बाढ़ पीड़ित परिवारों को बाढ़ की त्रासदी से ऊबरने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. एक पखवाड़ा से यहां के लोग पानी में डूबे हुए हैं. अभी भी लोगों के घर पानी में डूबे हुए हैं. जगह-जगह चार से पांच फीट पानी जमा है. पानी तैरकर लोगों को […]
सदर : कंसी पंचायत के बाढ़ पीड़ित परिवारों को बाढ़ की त्रासदी से ऊबरने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. एक पखवाड़ा से यहां के लोग पानी में डूबे हुए हैं. अभी भी लोगों के घर पानी में डूबे हुए हैं. जगह-जगह चार से पांच फीट पानी जमा है. पानी तैरकर लोगों को घर से निकलना मुश्किल हो रहा है. अधिकतर परिवार अपना घर छोड़ एनएच पर शरण ले चुके हैं. यहां की अधिकतर सड़कें टूट जाने से आवागमन भी बाधित है.
झोपड़ीनुमा व कच्चे मकान धाराशायी हो रहे हैं. भोजन के लिए अनाज तक जुटा पाना मुश्किल हो रहा है. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि प्रशासन के लोग अभी तक खोज खबर लेने भी नहीं पहुंच पाये हैं. पीड़ित परिवार फटेहाल जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं. नयाटोला मनिहास की शहजादी बेगम पानी में चारों तरफ से डूबे अपना घर छोड़कर फोरलेन पर बाल-बच्चों के साथ जीवन काट रही है. उसे परिवारों का पेट भरने के लिये दिन में भी तारे नजर आते हैं. शहजादी कहती हैं कि अभीतक कोई देखने तक नहीं आया है. खाने-पीने की भी सुविधा नहीं है. कई दिन तो भूखे पेट गुजारना पड़ता है. पन्नी, चूड़ा, गुड़ कुछ भी नहीं मिला है. वहीं मो. जमील सरकारी तंत्र को कोसते हुए बताते हैं कि यहां की मुश्किलें किसी को पता नहीं.
अब तो मवेशी भी अंतिम सांसे गिन रहे हैं. उसे चारा नहीं मिल रहा है. आवागमन ठप है. लोग त्राहिमाम की स्थिति में पहुंच गये हैं. इसी तरह फारुख राजा, रामस्वार्थ पासवान, मो, फकीरा सहित दर्जनों परिवारों का अपना रोना है. इन्हीं सब बतों से गुस्साये एक राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्त्ताओं ने धरना भी शुरू कर रखा है. पीड़ितों का कहना है कि सरकार एवं स्थानीय प्रशासन के लोग झूठा दिखावा करते हैं. जरूरतमंदों को कोई सुविधा मुहैया नहीं करायी जा सकी है. लोग कठिनाईयों की मार झेल रहे हैं.
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