दरभंगा : दरभंगा जंकशन पर मीटर गेज के प्लेटफॉर्म पर बड़ी रेल लाइन की गाड़ियां दौड़ रही हैं. यह स्थिति दो प्लेटफॉर्मों की है. इन दोनों प्लेटफॉर्मों पर गाड़ी खड़ी होने पर यात्री जान-जोखिम में डाल आवागमन करते हैं. यह स्थिति प्लेटफॉर्म के निर्माण काल से ही है. अब तक विभाग ने इस ओर तवज्जो नहीं दिया है. हालांकि रेलवे बोर्ड ने इसे गंभीरता से लेते हुए इन दोनों प्लेटफॉर्मों के उन्नयन का फैसला ले लिया है, लेकिन अभी तक इस दिशा में काम शुरू नहीं हो सका है. लिहाजा यात्रियों की परेशानी बदस्तूर जारी है.
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मीटर गेज के प्लेटफॉर्म पर दौड़ रहीं बड़ी लाइन की ट्रेनें
दरभंगा : दरभंगा जंकशन पर मीटर गेज के प्लेटफॉर्म पर बड़ी रेल लाइन की गाड़ियां दौड़ रही हैं. यह स्थिति दो प्लेटफॉर्मों की है. इन दोनों प्लेटफॉर्मों पर गाड़ी खड़ी होने पर यात्री जान-जोखिम में डाल आवागमन करते हैं. यह स्थिति प्लेटफॉर्म के निर्माण काल से ही है. अब तक विभाग ने इस ओर तवज्जो […]
सुविधा के प्रति विभाग लापरवाह
रेलवे के नजरिए से दरभंगा जंकशन को सर्वोच्च दर्जा हासिल है, लेकिन यह सिर्फ कहने भर के लिए है. यह दर्जा मिले करीब एक दशक बीत गये, लेकिन आज तक यात्रियों को दर्जा के अनुरूप मुकम्मल सुविधा नसीब नहीं हो सकी है. न तो यहां यात्रियों के बैठने के लिए पर्याप्त बेंच हैं और न ही शेड का ही प्रबंध है. यहां की सुविधा के प्रति विभाग की संजीदगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज तक यहां के दो प्लेटफॉर्म मीटर गेज की ट्रेन के अनुरूप ही है, जबकि जंकशन पर मीटर गेज के इतिहास बने एक दशक होने वाला है. जाहिर तौर पर इससे यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. जान-जोखिम में डाल यात्री ट्रेन में चढ़ते-उतरते हैं.
महिला, नि:शक्त व वृद्ध को होती अधिक समस्या
पायदान की ऊंचाई अधिक होने से बना रहता हादसे का खतरा
चोटिल होते हैं यात्री
इस वजह से हमेशा हादसे का खतरा बना रहता है. प्लेटफॉर्म का सतह काफी नीचे होने के कारण यात्रियों को कमोबेश छलांग लगाकर ही उतरना पड़ता है. यात्री किसी तरह पायदान पर बैठकर सुरक्षित नीचे उतर पाते हैं. इसमें आए दिन यात्री चोटिल भी होते रहते हैं. पांव फिसलने की घटना होती रहती है.
पटरी बीजी की, प्लेटफॉर्म एमजी का
जंकशन पर हाल के वर्षों में प्लेटफॉर्म संख्या चार व पांच का निर्माण हुआ है. जंकशन पर ट्रेनों की संख्या के अनुपात में प्लेटफॉर्म कम रहने के कारण इन दो प्लेटफॉर्मों का निर्माण किया गया. पहले प्लेटफॉर्म संख्या-चार बनाया गया. इसके बाद प्लेटफॉर्म-पांच का निर्माण हुआ. इन दोनों प्लेटफॉर्म पर पटरी तो बड़ी लाइन (ब्रॉड गेज) की बिछा दी गयी, लेकिन प्लेटफॉर्म के सतह को उंचा नहीं किया गया. मीटर गेज के जमाने में बने प्लेटफॉर्म के अनुरूप ही सतह को छोड़ दिया गया. निर्माण के बाद विधिवत इसका उपयोग भी शुरू हो गया.
दोनों प्लेटफॉर्म पर लगती लंबी दूरी की ट्रेन
सबसे अधिक परेशानी शारीरिक रूप से लाचार, वृद्ध, महिला यात्रियों को झेलनी पड़ रही है. वहीं अधिक सामान के साथ सफर करनेवालों को भी भारी कठिनाइयों को सामना करना पड़ता है. मालूम हो कि लंबी दूरी की जावक ट्रेनों को इन दोनों प्लेटफॉर्म पर न के बराबर लगाया जाता है, लेकिन लंबी दूरी की आवक ट्रेनें अक्सर इन दोनों प्लेटफॉर्मों पर आती हैं. अन्य प्लेटफॉर्म पर पहले से गाड़ी खड़ी होने की स्थिति में इन दोनों का उपयोग किया जाता है. वैसे सवारी गाड़ी तो धड़ल्ले से लगायी जाती है.
सतह नीचे हाेने से परेशानी
ब्रॉड गेज की ट्रेनों की बोगियां भूतल से मीटर गेज की ट्रेनों के तुलना में काफी उंची रहती हैं. नियमत: बोगियों के पायदान की कम से कम तीन सीढ़ी प्लेटफॉर्म व बोगी के बीच में छिप जानी चाहिए. इससे यात्रियों को चढ़ने तथा उतरने में कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन यहां बीजी ट्रेन की बोगियों की सभी सीढ़ियां हवा में ही लटकी रह जाती हैं. इससे यात्रियों को परेशानी होती है.
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