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चुटिया में लहलहायी नरेंद्र हल्दी व गजेंद्र प्रभेद के ओल की फसल

किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र आये दिन यहां उन्नत खेती व कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के माध्यम की जानकारी किसानों को दे रहा है. केवीके से किसान उपयोगी तकनीक व उपयोग की जानकारी हासिल कर रहे हैं. आज प्रगतिशील किसान खेती के जरिये अपने सामाजिक-आर्थिक जीवन स्तर को ऊपर उठाने में सफल हो रहे हैं.

चंदन कुमार, बांका : किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र आये दिन यहां उन्नत खेती व कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के माध्यम की जानकारी किसानों को दे रहा है. केवीके से किसान उपयोगी तकनीक व उपयोग की जानकारी हासिल कर रहे हैं. आज प्रगतिशील किसान खेती के जरिये अपने सामाजिक-आर्थिक जीवन स्तर को ऊपर उठाने में सफल हो रहे हैं. ऐसे ही एक किसान जिला मुख्यालय के चार किमी दूर अवस्थित चुटिया गांव के राजप्रताप भारती हैं.

ये एक ऐसे प्रगतिशील किसान हैं, जिन्होंने ओल, आम, हल्दी, धनिया आदि की खेती कर आसपास के किसानों में नया जोश व उत्साह पैदा कर दिया है. प्रगतिशील किसान राजप्रताप भारती ने बताया है कि केवीके से प्रशिक्षण व ओल का बीज लेने के बाद करीब 20 कठ्ठे में ओल की खेती शुरू की. इससे आज वो सालाना करीब चार लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. इसके साथ गांव के भी दर्जन किसानों को ओल की खेती के लिए उन्होंने प्रेरित किया और आज उक्त गांव में करीब 10 बीघा में ओल की खेती विभिन्न किसानों के द्वारा किया गया है.

छह माह में दस से पंद्रह किलो की उपज

किसान राजप्रताप भारती ने बताया कि गजेंद्र प्रभेद का ओल की खेती की गयी है. इसकी खासियत यह है कि छह माह में करीब 10-15 किलो का हो जाता है. अब वो बाजार में ओल बेचने के साथ-साथ केवीके व अन्य किसानों को भी बीज उपलब्ध करा रहे हैं. इससे वो घर बैठे ही आमदनी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ओल की खेती में बिक्री के पश्चात जो ओल बच जाता है. उस ओल को बिना स्टोरेज के यूं ही घर में रख देते हैं और फरवरी-मार्च महीने में पुन: उस ओल को लगाते हैं. जिसकी पैदावार नवंबर-दिसंबर तक हो जाती है.

नरेंद्र हल्दी की खेती से लहलहा रहा है चुटिया

चुटिया गांव निवासी किसान राजप्रताप भारती ने बताया कि इस बार नयी किस्म नरेंद्र हल्दी को करीब 1 बीघा खेत में लगाया है. जो कि जिला में पहली बार इस किस्म की हल्दी की खेती हुई है. उक्त किस्म के हल्दी को मैं समस्तीपुर जिला से लाया. इसका खासियत यह है कि हल्दी का पौधा करीब तीन से चार फीट लंबा होता है. आम हल्दी से इसकी उपज अधिक व वजनदार होता है.

इस हल्दी में बुरादा भी अधिक होता है. जबकि कई साल से हम सोनिया किस्म की हल्दी को खेत में लगाते थे. इस साल भी गांव के कुछ किसानों ने अपने 5 बीघा खेत में इसकी खेती की है. आगे उन्होंने बताया कि नरेंद्र हल्दी की खेती को लेकर गांव के किसानों को भी प्रेरित किया जा रहा है. अगले साल गांव के अन्य किसान भी इसी हल्दी की खेती कर अपनी आमदनी दोगुनी करेंगे.

posted by ashish jha

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