लापरवाही. भीड़-भाड़वाले सरकारी कार्यालयों में नहीं है सुरक्षा का कोई इंतजाम, परिसर की सुरक्षा पर भी सवाल
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कोर्ट परिसर में हत्या के बाद भी नहीं लिया सबक
लापरवाही. भीड़-भाड़वाले सरकारी कार्यालयों में नहीं है सुरक्षा का कोई इंतजाम, परिसर की सुरक्षा पर भी सवाल सात दिन पहले यानि 11 मई को शातिर बबलू दूबे की गोली मार हत्या करने वाले अपराधी इस गेट से ही भागे थे. घटना के बाद कोर्ट परिसर की सुरक्षा पर सवाल उठा तो पूरब वाले गेट पर […]
सात दिन पहले यानि 11 मई को शातिर बबलू दूबे की गोली मार हत्या करने वाले अपराधी इस गेट से ही भागे थे. घटना के बाद कोर्ट परिसर की सुरक्षा पर सवाल उठा तो पूरब वाले गेट पर भारी सुरक्षा, मेटल डिटेक्टर व आने-जाने वालों की जांच शुरू कर दी गयी है. लेकिन, पश्चिम गेट पर सुरक्षा व्यवस्था की पोल यह दृश्य बखूबी खोल रहा है. लोग बेरोक-टोक इस गेट से अंदर जाते दिखे.
समाहरणालय अमूमन आपराधिक वारदातों को लेकर संवेदनशील होता है. यहां पूर्व में फायरिंग, बीएक्यू की लूट जैसी वारदात हो चुकी है. बावजूद इसकी सुरक्षा महज एक सिपाही के भरोसे हैं. यहां जांच का कोई इंतजाम नहीं है. कोई भी दाखिल हो सकता है. वह भी तब जब यहां कलेक्ट्रेट व विकास विभाग के तीन दर्जन से ज्यादा कार्यालय हैं.
यूं तो अनुमंडल कार्यालय साल के सभी दिनों में फरियादियों से गुलजार रहता है. यहां 107 के मामलों की सुनवाई भी चलती है. लेकिन इसकी सुरक्षा भी भगवान भरोसे हैं. वह भी तब जब अनुमंडल कार्यालय के सामने ही साई संजीवनी हॉस्पिटल रंगदारी को लेकर बम विस्फोट की वारदात अंजाम दी गयी थी.
बात 2013 की है. रजिस्ट्री कार्यालय में बम मिलने की सूचना पर पूरे जिले में सनसनी फैल गयी थी. बम स्क्वॉयड दस्ते ने यहां से जिंदा बम बरामद किया था. इसके बाद रजिस्ट्री कार्यालय की सुरक्षा पर माथापच्ची हुई. आज के हालात में यहां कोई भी सुरक्षाकर्मी नहीं है. वह भी तब जब यहां लोग लाखों रुपये लेकर रजिस्ट्री कराने पहुंचते हैं.
बेतिया : कोर्ट परिसर में हुए बबलू दूबे हत्याकांड के बाद भी पुलिस ने सबक नहीं लिया है. शायद पुलिस इससे अभी बड़ी घटना का इंतजार कर रही है, तभी तो भीड-भाड़ वाले सरकारी कार्यालयों की सुरक्षा को लेकर पुलिस को तनिक भी फिक्र नहीं है.
इन कार्यालयों की सुरक्षा पूरी तरह से भगवान भरोसे हैं. खुद सिविल कोर्ट परिसर जहां 11 मई को शातिर बबलू दूबे की दिनदहाड़े गोली मार हत्या हुई, इसके बाद भी कोर्ट की सुरक्षा में भी पुलिसिया लापरवाही जारी है. यह हाल तब है, जब कोर्ट परिसर में बबलू दूबे की हत्या के बाद सबसे पहला सवाल सुरक्षा को लेकर उठा.
पुलिस की निगरानी वाले कोर्ट परिसर में पुलिस अभिरक्षा के अपराधी की हत्या ने सीधे तौर पर सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है. समीक्षा शुरू हुई तो आनन-फानन में पुलिस कप्तान ने कोर्ट की सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश जारी कर दिये. खुद डीआईजी पहुंचे तो कोर्ट में पुलिस चौकी स्थापित करने की बात कही.
लेकिन, मौजूदा वक्त में इन दावों में कितनी सच्चाई है यह उपरोक्त दृश्य बखूबी दिखा रहा है. सुरक्षा के नाम पर कोर्ट के पूरब वाली गेट पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती कर दी गयी है. मेटल डिटेक्टर लगा दिया गया है. बुधवार तक आने-जाने वालों की तलाशी भी ली गयी. लेकिन, अब फिर सुरक्षा पुराने ढर्रे पर दिख रही है.
कोर्ट के पश्चिम गेट पर सुरक्षा का कोर्ट इंतजाम नहीं है. इतना ही नहीं अन्य सरकारी कार्यालय मसलन समाहरणालय, एमजेके सदर हॉस्पिटल, अंचल कार्यालय, अनुमंडल कार्यालय, प्रखंड कार्यालय जहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में फरियादी पहुंचते हैं. यहां भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है. यहां जब घटनाये होती हैं तो फौरी तौर पर पुलिस की तैनाती कर दी जाती है. इसके बाद फिर सुरक्षा भगवान भरोसे रहता है.
आये दिन हॉस्पिटल में होती है तोड़फोड़
सुरक्षा में खामी ही है कि स्थानीय एमजेके सदर हॉस्पिटल में आये दिन हंगामा व तोड़फोड़ के मामले सामने आते हैं. तोड़फोड़ के बाद पुलिस पहुंचती है, समझा-बुझाकर मामला शांत करती है. जबकि पूर्व में हॉस्पिटल में पुलिस पिकेट थी. इसे हटा लिया गया है. जबकि हॉस्पिटल में हजारों मरीज रोज पहुंचते हैं. एएनएम की छात्राओं का हॉस्टल भी है. बावजूद इसकी सुरक्षा नहीं है.
जिले में सुरक्षा की स्थिति
इंस्पेक्टर: 15
सब इंस्पेक्टर: 127
एएसआइ: 134
हवलदार: 81
सिपाही: 400
रंगरूट: 272
भीड़-भाड़ वाले सरकारी कार्यालयों व संवेदनशील स्थानों पर पुलिस की नजर रहती है़ जहां तक सुरक्षा कर्मियों के नहीं होने की बात कही जा रही है , इस बारे में पता लगाया जायेगा.
अनिल कुमार सिंह, डीआइजी , चंपारण रेंज
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