दिक्कत. आरबीआइ ने ही नहीं खाताधारकों ने भी खींचा हाथ
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बैंकों में “225 करोड़ कम जमा हुए, परेशानी बढ़ी
दिक्कत. आरबीआइ ने ही नहीं खाताधारकों ने भी खींचा हाथ बेतिया़ : नोटबंदी के छह माह बाद एकबारगी फिर बैंकों में नगदी का संकट गहरा गया है. शहर से लेकर गांव तक एटीएम खाली है और बैंको में नगदी को लेकर किच-किच बना हुआ है. नगदी संकट से आम-अवाम खासा परेशान है. खासकर शादी-विवाह के […]
बेतिया़ : नोटबंदी के छह माह बाद एकबारगी फिर बैंकों में नगदी का संकट गहरा गया है. शहर से लेकर गांव तक एटीएम खाली है और बैंको में नगदी को लेकर किच-किच बना हुआ है. नगदी संकट से आम-अवाम खासा परेशान है. खासकर शादी-विवाह के इस मौसम में नगदी संकट में लोगों की परेशानी काफी बढ़ा दी है. बैंक जरूरत भर की नगदी देने में असमर्थता जता रहे हैं.
उनका कहना है कि उपर से ही मांग के अनुरुप नगदी नहीं मिल रही है. इसकी वजह से यह संकट हुआ है. हालांकि बैंकों की ओर से जल्द ही हालात सामान्य होने के दावे किये जा रहे हैं.
एक तरफ जहां ग्राहक अपने बैंक खाते से रकम निकालने को लेकर एटीएम व बैंक के चक्कर काटने को मजबूर है. पैसों को लेकर नोक-झोक हो रही है. उपभोक्ता पैसा नहीं मिलने को लेकर गुस्से में हैं तो वहीं बैंकों अपनी मुश्किलों का रोना रहा है. बैंक प्रबंधनों का दावा है कि नगदी को लेकर सिर्फ आरबीआइ ने ही नहीं स्थानीय खाताधारकों ने भी हाथ खींच लिया है.
आरबीआइ की ओर से डिमांड के मुताबिक कैश मुहैया कराया नहीं जा रहा और स्थानीय खाताधारक बैंकों में पैसा जमा करने नहीं आ रहे हैं. हर माह होने वाले औसत जमा काफी नीचे आ गयी है.
डेढ़ माह में जमा में आयी गिरावट : नोटबंदी के दौरान बैंको में नोटों को जमा करने का सिलसिला खूब चला. इससे बैंक काफी उत्साहित भी रहे. लेकिन नोटबंदी खत्म हुए अभी छह माह हीं हुए कि बैंको की वह खुशी काफूर होने लगी है. मार्च माह के मुकाबले पिछले डेढ़ माह में करीब 225 करोड़ रुपये की जमा में कमी आयी है. यहीं नहीं बैंको में एनपीए का ग्राफ भी बढ़ा है.
अकेले एसबीआइ में 128 करोड़ जमा में गिरावट आया है. सेंट्रल बैंक में यह आंकड़ा करीब 40 करोड़ के आसपास है. वहीं शेष 60 करोड़ की गिरावट जिले में स्थापित विभिन्न बैंको की शाखाओं में आयी है. एसबीआइ के आरएम अरुण कुमार की माने तो बेतिया रिजन के 31 शाखाओं में डेढ़ माह में जहां 128 करोड़ रुपये जमा में कम हुए है वहीं डेढ करोड़ एनपीए बढ़ा है. नगदी किल्लत के संबंध में आरएम ने बताया कि आरबीआइ से डिमांड के अनुरुप राशि उपलब्ध नहीं हो पा रही है. डिमांड राशि की दस फिसदी भी राशि बैंक चेस्ट को नही मिल रहे है. जिसकी वजह से नगदी संकट उत्पन्न हुआ है.
बैंकों व एटीएम में कैश की किल्लत से बैंक प्रबंधनों की बढ़ीं मुश्किलें
महज पैसा निकासी करने वालों की लग रही भीड़
पैसा जमा करने वालों की संख्या में आयी गिरावट
रोज बदल रहे नियमों से ग्राहकों में ऊहापोह
नगदी संकट की एक बड़ी वजह आम लोगो में बैंक की बजाय अपने घरों में नोट रखने की प्रवृति का बढ़ना भी है. नोटबंदी के बाद बैंको में जमा हुई भारी भरकम राशि मार्च में कैश लिमिट समाप्त होते ही निकलनी शुरु होगयी. जिस प्रकार नोटबंदी में लोगों ने नोट जमा किये उसी प्रकार लिमिट समाप्त होने के बाद निकासी भी आरंभ कर दी.
खासकर एटीएम से निकल रहे बड़े नोट जिसकी अब भारी किल्लत है. लोगों की ओर से घर पर डंप कर दिये गये. कई लोगों ने बताया कि बैंको के नियम रोज बदल रहे है. वहीं नगदी की समस्या भी बैंको में बराबर बनी हुई है. ऐसे में जरुरत पड़ने पर बैंक से पैसे मिलेंगे या नहीं इसको लेकर शंका बनी रहती है. इससे बेहतर है बैंक के बजाय घरों में ही नगदी रखी जाय.
वर्तमान समय में आरबीआइ से राशि कम मिलने की वजह से नगदी संकट उत्पन्न हो गयी है. हालांकि, इसमें जल्द सुधार की संभावना है. बैंकों में जमा होनेवाली राशि में भी गिरावट नगदी संकट की वजह है.
महेंद्र कुमार, जिला प्रबंधक, अग्रणी बैंक
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