आइएमए ने कहा, नीतियां ठीक नहीं
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आइएमसी अिधनियम के विरोध में किया प्रदर्शन
आइएमए ने कहा, नीतियां ठीक नहीं बेतिया : केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट में संशोधन कर नेशनल एक्सिट टेस्ट (नेकस्ट) के प्रस्ताव को एक्ट के रूप में लाने जा रही है. इससे विदेशों से एमबीबीएस अथवा तीन से छह माह का डिप्लोमाधारी बिना स्क्रीनिंग परीक्षा में शामिल हुए भारत में निबंधन […]
बेतिया : केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट में संशोधन कर नेशनल एक्सिट टेस्ट (नेकस्ट) के प्रस्ताव को एक्ट के रूप में लाने जा रही है. इससे विदेशों से एमबीबीएस अथवा तीन से छह माह का डिप्लोमाधारी बिना स्क्रीनिंग परीक्षा में शामिल हुए भारत में निबंधन प्राप्त कर सकेंगे. वे प्रैक्टिस भी कर सकेंगे.
दूसरी ओर, भारतीय चिकित्सकीय संस्थानों से पास करने वाले चिकित्सकों को नेकस्ट की परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा. तब ही वे अपना निबंधन करा सकेंगे. इसके बुधवार को यहां के डाॅक्टरों एवं मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने अपने कक्षाओं के बहिष्कार कर हाथों में अपनी मांग से संबंधित प्लेकार्ड्स को लेकर अलग-अलग मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
आइएमए के जिला मीडिया प्रभारी एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ उमेश कुमार का कहना था कि यह एक्ट चिकित्सा सेवा और समाज के स्वास्थ्य के हित में नहीं है. इसके द्वारा विदेशी एवं देशी मेडिकल स्नातकों में फर्क किया जा रहा है. आइएमए के जिला सचिव डाॅ प्रमोद तिवारी ने बताया कि मेडिकल छात्र के हित में वे हमेशा तत्पर हैं. यदि उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं किया गया तो आइएमए अपने संघर्ष को और तेज करेगी. आइएमए के जिला अध्यक्ष डाॅ महाश्रय सिंह ने बताया कि यह राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन पूरे देश में किया जा रहा है.
इससे संबंधित ज्ञापन डीएम डीएम पश्चिम चंपारण लोकेश कुमार सिंह एवं प्राचार्य सरकारी मेडिकल के कॉलेज को दिया गया है. जिसमें आइएमए का नेकस्ट परीक्षा से संबंधित तीन सुझाव दिये गये हैं. इसमें देश के सभी विश्वविद्यालयों की ओर से एक राष्ट्रव्यापी एमबीबीएस परीक्षा एवं इंटर्नशिप की एक तिथि निर्धारित होनी चाहिए. पीजी में नामांकन के लिए एमबीबीएस परीक्षा के 45 दिनों के भीतर ही एक सामान परीक्षा आयोजित करना चाहिए. सेवा चिकित्सकों के लिए पीजी सीटों में नामांकन हेतु आरक्षण सामानुपातिक लागू करना चाहिए. जिससे कि नये डॉक्टरों के हक की रक्षा हो सके.
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