पड़ताल. गांव जैसा दिखता है वार्ड नंबर एक बसंत टोला
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48 लाख में नेशनल हाइवे से जुड़ी वार्ड एक की सड़क
पड़ताल. गांव जैसा दिखता है वार्ड नंबर एक बसंत टोला बेतिया : शहर का वार्ड नंबर एक बसंत टोला. सड़क चकाचक है, लेकिन सड़कों के किनारे कूड़ा-कचरा का अंबार लगा हुआ है. कहने को यह शहरी वार्ड है, लेकिन नजारा पूरी तरह से गांव की दिख रही है. नयी-नयी बिल्डिंग खड़ी हो चुकी है. कुछ […]
बेतिया : शहर का वार्ड नंबर एक बसंत टोला. सड़क चकाचक है, लेकिन सड़कों के किनारे कूड़ा-कचरा का अंबार लगा हुआ है. कहने को यह शहरी वार्ड है, लेकिन नजारा पूरी तरह से गांव की दिख रही है. नयी-नयी बिल्डिंग खड़ी हो चुकी है. कुछ आबादी को छोड़ दें तो वार्ड की ज्यादातर आबादी का जीवनस्तर ‘गंवई’ ही है. बुनियादी सुविधाओं का आज भी अभाव है. इसे लेकर यहां के लोग आज भी जूझ रहे हैं.
वार्ड की पार्षद अंजना खातून का दावा है कि शहर को सीधे एनएच-28 बी से जोड़ने वाले उनके वार्ड की वर्षों से जर्जर सड़क की हालत अब बदल चुकी है. सड़क की निर्माण 48 लाख की राशि से उन्होंने नप की योजना से करायी गयी है.
जिससे आवागमन की सुविधाएं बढ़ गयी हैं. उनका दवा है कि वार्ड के अधिकांश गली-मोहल्ले के सड़कों को पीसीसी व पक्का नाले का निर्माण कराया गया है. डा़ॅ एकराम के क्लीनिक से कब्रितस्तान तक 14 सौ फीट लंबी पीसीसी सड़क का निर्माण 48 लाख की लागत से करायी गयी है. यह सड़क शहर को सीधे एनएच-28 बी से जोड़ती है. इसके अलावे 10 पीसीसी सड़क, 10 पक्का नाले व 50 शौचालय का निर्माण कराया गया है. वहीं वार्डवासियों का कहना है कि वार्ड में शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधाएं नगण्य हैं. सरकारी भवन का भी अभाव है. चुनावी महापर्व में भी यहां के लोगों को करीब एक किलोमीटर चलकर अपना मताधिकार का प्रयोग करना पड़ता है. बिजली, पानी, नाली की स्थिति वार्ड में बुरा है.
चहेतों को मिला खाद्य सुरक्षा कार्ड
वार्ड पार्षद ने अपने कार्यकाल के दौरान सिर्फ चहेतों को ही खाद्य सुरक्षा कार्ड मुहैया करायी हैं. जो उनकी मानसिकता को दर्शाता है. विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ है. जो भी कुछ हुआ है वह सिर्फ कुछ जगहों तक सिमट कर रह गया है. विडंबना यह है कि वार्ड पार्षद अपने इस कार्यकाल में जनता से सीधे नहीं जुड़ी. जनता पहचानती ही नहीं हैं कि उनका वार्ड पार्षद कौन है.
हसनतारा खातून, प्रतिद्वंद्वी
वार्ड में सरकारी भवन का अभाव है. सरकारी भवन नहीं रहने के कारण एक किलीमीटर दूर चुनावों के समय मतदान करने जाना पड़ता है. सड़क, नाला व शौचालय बना है. वार्ड में एक और आंगनबाड़ी केंद्र खुले. ताकि नौनिहालों को शिक्षा मिल सके.
अनीस आलम, वार्डवासी
अभी भी इस वार्ड की पहचान ग्रामीण क्षेत्रों जैसा है. उसका प्रभाव अभी भी नहीं मिटा है. जमादार टोला से मनुआपुल तक जाने वाली मुख्य कच्चे नाले का निर्माण अभी तक नहीं हो सका है. इससे वार्ड में जलजमाव रहता है. नालियों का विकास नहीं हो सका है. सरकारी स्कूल नहीं होने के कारण वार्ड के बच्चों को दूसरे वार्ड के स्कूल में पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है.
मुहम्मद रानू, वार्डवासी
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