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धूप से दिन में राहत, शाम होते ही बढ़ी कनकनी

बेतिया : हिमालय की तराई से सटे पश्चिम चंपारण जिले में बर्फीली सर्द हवाओं से ठिठुरन बढ़ती जा रही है. मौसम के अत्यधिक सर्द होने से पारा भी लुढ़कने लगा है. गलन के कारण शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों की दुकानें भी देर से खुल रही हैं. बावजूद इसके बाजारों की रौनक गायब है. […]

बेतिया : हिमालय की तराई से सटे पश्चिम चंपारण जिले में बर्फीली सर्द हवाओं से ठिठुरन बढ़ती जा रही है. मौसम के अत्यधिक सर्द होने से पारा भी लुढ़कने लगा है. गलन के कारण शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों की दुकानें भी देर से खुल रही हैं.
बावजूद इसके बाजारों की रौनक गायब है. लोग सुबह घरों में देर तक दुबके रह रहे हैं. शहर से लेकर गांवो में जगह-जगह लोग अलाव तापते दिख रहे हैं. हालांकि राज्य सरकार के आदेश के बावजूद अभी तक शहर में कहीं भी सरकारी स्तर पर अलाव की व्यवस्था नहीं दिख रही है. ठिठुरन से बचाव के लिए फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग खासे परेशान हैं.
ऐसा लगता है कि प्रशासन के पास ठंड से बचाव के लिए अभी तक कोई कार्ययोजना नहीं बन सकी है. न अब तक गरीबों के बीच कंबल या गर्म जिले में ठंड के बढ़ते कहर को देखते हुए राज्य सरकार का निर्देश तो अलाव की व्यवस्था करने का प्राप्त हो चुका है. लेकिन पश्चिम चम्पारण जिले में अभी भी प्रशासन की ओर से अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है. कुछ स्थानों पर ठंड से गरीब-गुरबों के बचाव में सामाजिक कार्यकर्ता उतर गये हैं. उनके द्वारा कंबल आदि का वितरण तो जारी है. लेकिन अभी तक गरीबों के सामाजिक सुरक्षा के लिए दायित्व निभानेवाले सामाजिक सुरक्षा कार्यालय की ओर से भी कोई तैयारी नहीं की गयी है.
स्कूल के समय में नहीं हो सका बदलाव : जिले में ठंड के बढ़ते कहर को देखते हुए अभी तक प्रशासनिक स्तर पर स्कूल संचालन के समय में कोई परिवर्तन नहीं हो सके हैं. वैसे राज्य के अन्य जिलो में स्कूलों के संचालन में या तो परिवर्तन कर दिया गया है या तो 12 दिसम्बर तक स्कूल में अवकाश घोषित कर दिया गया है। लेकिन जिले में अभी तक इस प्रकार का कोई आदेश विभाग की ओर से जारी नहीं किया गया है। हालांकि जिलाधिकारी के विशेष कार्य पदाधिकारी सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी को अपने स्तर से निर्णय लेते हुए कार्रवाई को कहा गया है.
बाजारों से भीड़ गायब, कारोबार प्रभावित : जिला मुख्यालय समेत अन्य बाजारों में वीरानगी पसरी हुई है.एक तो ठंड के कारण बाजार की दुकानें देर से खुल रही हैं. दूसरी ओर ग्रामीण अति आवश्यक कार्य के लिए ही गांव और घर छोड़ने को तैयार हैं. जाहिर से कि ग्रामीण क्षेत्र से प्रभावित होने वालों बाजारों से भीड़ गायब है और इसका सीधा असर कारोबार पर हुआ है. कई दुकानदारों ने बताया कि ठंड की वजह से दुकानों में बिक्री नहीं हो रही है. यहां तक कि जरूरत के सामान ही खरीदे जा रहे हैं.
इस बार जिले सभी क्षेत्र में पड़ रही ठंड ने पिछले सारे रिकार्ड लगभग तोड़ दिया हैं. अभी भी पारा लगातार गिरता ही जा रहा है और ठंड का कहर बढ़ता जा रहा है.
इस बढ़ती ठंड में जरा-सी लापरवाही लोगों पर भारी पड़ रही है और बच्चों पर अधिक. आंकड़ों पर यदि गौर करें तो ठंड के कहर से रोजाना ओपीडी पहुंचने वाले 500 मरीजों में से 300 ठंड से प्रभावित होते हैं. इनमें से लगभग 90 बच्चे शामिल होते हैं. इनमें से ज्यादातर केस कफ फीवर, सांस की समस्या, दस्त और खांसी-खरांस की बीमारी से संबंधित हैं. चिंता की बात यह है कि कई बच्चे निमोनिया के भी शिकार हो रहे हैं.
इनकी उम्र भी महज आठ माह से तीन साल के बीच है. पिछले तीन-चार दिन में एमजे के अस्पताल के शिशु रोग विभाग में 21 ऐसे बच्चे पहुंचे हैं, जिनका गंभीरता से इलाज जारी है। डॅाक्टरों का कहना है कि सावधानी ही बीमारियों से बचाव है.

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