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छठ घाट सजावट के नाम पर 47 हजार की हेराफेरी

करीब साल भर भुगतान लटकाने के बाद टेंट हाउस संचालक पहुंचा नप कार्यालय बेतिया. नगर परिषद में शौचालय, डस्टबीन घोटाले के बाद एक और घोटाला छठ घाट सजावट घोटाला उजागर हुआ है. सागर पोखरा छठ घाट के सजावट के नाम पर 47 हजार रुपये अग्रिम ले लिया गया है. लेकिन सजावट करने वाले जगजीवन नगर […]

करीब साल भर भुगतान लटकाने के बाद टेंट हाउस संचालक पहुंचा नप कार्यालय
बेतिया. नगर परिषद में शौचालय, डस्टबीन घोटाले के बाद एक और घोटाला छठ घाट सजावट घोटाला उजागर हुआ है. सागर पोखरा छठ घाट के सजावट के नाम पर 47 हजार रुपये अग्रिम ले लिया गया है.
लेकिन सजावट करने वाले जगजीवन नगर के टेंट हाउस संचालक अर्जुन कुमार को अब तक भुगतान नहीं किया गया है. करीब एक साल बीत जाने के बाद भुगतान नहीं होने पर टेंट संचालक नगर परिषद कार्यालय में भुगतान के लिए पहुंचा,तो मामले का खुलासा हुआ. भुगतान रजिस्टर में सजावट करने वाले टेंट हाउस की जगह खुशबू टेंट हाउस का बिल भाउचर लगा पाया गया. इसको गंभीरता से लेते हुए नप सभापति अनीश अख्तर ने कार्यपालक पदाधिकारी विपिन कुमार को छठ घाट सजावट मामले में हुई हेराफेरी की जांच का निर्देश दिया है.
विभागीय स्तर पर कराया गया है छठ घाट का काम : सागर पोखरा छठ के सजावट कार्य विभागीय स्तर पर कराया गया है. वर्ष 2015 में घाट सजावट पर एक लाख चार हजार रुपये खर्च होना था.
सजावट के लिए कार्यकारी एजेंसी के तौर पर कनीय अभियंता सुजय सुमन को जिम्मा सौंपा गया था. इसके लिए नप की ओर से जेई सुमन को 47 हजार रुपया भुगतान भी कर दिया गया. लेबर व फ्लेक्सों के लगाने के नाम पर खर्च करने करने की बात कही गयी है.आश्चर्य यह है कि टेंट हाउस संचालक अर्जुन को भुगतान नहीं करने या काम से संतुष्ट नहीं होने का कहीं भी संचिका में जिक्र नहीं किया गया है.
जेइ सुजय सुमन की भूमिका संदेह के घेरे में: 2015 में सागर पोखरा छठ घाट सजावट में कार्यकारी एजेंसी के तौर पर कार्य करने वाले नप के जेई सुजय सुमन की भूमिका संदेह के घेरे में आ गयी है.
नप सभापति अनीश अख्तर की मानें,तो करीब एक साल पूरा होने के बाद भी सजावट कार्य करने वाले टेंट हाउस का भुगतान नहीं करना व दूसरे टेंट हाउस खुशबू का संचिका में वाउचर लगाना काफी गंभीर मामला है. अग्रिम 47 हजार रुपया लेने के बाद भी सजावट करने वाले टेंट हाउस को एक भी पैसा नहीं देना उनकी भूमिका को संदेह से परे नहीं माना जा सकता है.

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