1200 अधिवक्ता बेतिया कोर्ट परिसर में
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झोपड़ी में बैठ काम करते हैं वकील
1200 अधिवक्ता बेतिया कोर्ट परिसर में 05 भवन एसोसिएशन की ओर से बनवाये गये 5000 से ज्यादा लोग रोज आते हैं कोर्ट में बेितया कोर्ट में काम करनेवाले वकीलों के पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं. झोपड़ी में बैठकर अिधवक्ता लोगों के िलए न्याय की लड़ाई लड़ते हैं. िकस हाल में काम करते हैं हमें […]
05 भवन एसोसिएशन की ओर से बनवाये गये
5000 से ज्यादा लोग रोज आते हैं कोर्ट में
बेितया कोर्ट में काम करनेवाले वकीलों के पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं. झोपड़ी में बैठकर अिधवक्ता लोगों के िलए न्याय की लड़ाई लड़ते हैं. िकस हाल में काम करते हैं हमें न्याय िदलाने वाले, इस िवषय पर एक िरपोर्ट.
बेतिया : कहने को तो वें वकील साहब हैं, लेकिन बैठते हैं झोपड़ियों में. जिरह, बहस व पैरवी भी वह घंटों खड़े होकर ही करते है़ं आवेदकों की तरह टिकट काउंटर पर वे जद्दोजहद करते दिखते है़ं बारिश हो तो किसी भवन के नीचे खड़े होकर वह भींगने से बचने का प्रयास करने लगते है़ं भीषण गरमी में एसी तो दूर उन्हें पंखा तक की हवा नसीब नहीं हो रही है़ यह नजारा है, बेतिया के अधिवक्ताओं के चैम्बर का़ जहां आम जनता को न्यायालयों के माध्यम से न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता असुविधाओं के बीच कार्य करने को विवश है़
खास यह है कि बेतिया व्यवहार न्यायालय में करीब 12 सौ अधिवक्ता है़ इनमें से आधे से अधिक अधिवक्ता झोपड़ी में बैठ कर कार्य करते नजर आ जाएंगे़ कड़ाके की ठंढ हो या भीषण गर्मी अपने व्यवस्था के तहत ही कार्य करने की मजबूरी है़ अगर बारिश हो गई तो पूछिए मत इधर उधर बैठ कर या फिर न्यायालयों के बरामदे में रह कर कार्य करना पड़ता है़
अधिवक्ताओं के सामने सबसे बड़ी परेशानी एक ही टिकट काउंटर का होना है़ जिसके चलते काउंटर पर भारी भीड़ लगी रहती है़ इससे समय पर टिकट नही मिल पाता़ इस कारण विभिन्न न्यायालयों में समय पर मुकदमें के पैरवी में दिक्कत होती है़ हालांकि बार एसोसिएशन की ओर से एक भवन बना है, कुछ अधिवक्ताओं का उसमें चैम्बर है़ं जहां बिजली पानी और अन्य सुविधाएं बार एसिएशन द्वारा उपलब्ध कराई जाती है़
चापाकल व शौचालय की भी कमी अधिवक्ताओं को सरकारी स्तर पर अब तक किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नही है़ न्यायालय परिसर में चापाकल और शौचालय की कमी है जिससे अधिवक्ताओ को परेशानियो का सामना करना पड़ता है़ वादकारियो के बैठने के लिए लिटिगेंट शेड का भी अभाव है जिससे वादकारी इधर उधर बैठने को विवश नजर आते है़
कोर्ट में भी अधिवक्ताओं के बैठने की नहीं है व्यवस्था
विभिन्न कोर्ट में अधिवक्ताओं के बैठने की समुचित व्यवस्था नही है़ जिला जज के कोर्ट को छोड़ दे तो लगभग सभी कोर्ट में आज भी अधिवक्ता बेंच पर बैठते है और कोर्ट में बहस करते है़ बैठने के जगह के अभाव में अधिकांश अधिवक्ताओ को घंटों खड़ा रहना पड़ता है़
अधिवक्ता बोले, सरकार की ओर से
नहीं िमली कोई सुिवधा
सरकारी सुविधाओ से अभी भी अधिवक्ता वंचित है़ बार एसोसिएशन की ओर से प्रयास कर आवश्यक सुविधा बहाल करने की पहल की जा रही है़ बार की ओर से अधिवक्ताओं के बैठने के लिए हालाकि पांच भवन बनाए गए है़ बावजूद इसके आधे से अधिक अधिवक्ता झोपड़ी में बैठ कर काम करने को मजबूर है़ं सरकार की ओर से उन्हें भूमि मुहैया नहीं करायी गयी है़
मदन मोहन मिश्र, अध्यक्ष विधिज्ञ संघ बेतिया
जाम से मिले निजात
हम अधिवक्ताओं की समस्या के अलावे शहर के छावनी पर जाम एक बहुत बड़ी समस्या है़ वादकारियों को समय से न्यायालय पहुंचने में देरी होती है़ इससे उन्हे परेशानियो का सामना करना पड़ता है़ हम भी कभी-कभी जाम में फंस जाते है़ं
श्याम कुमार मिश्र, अधिवक्ता
सरकार मुहैया कराये जमीन
कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए़ साथ ही सरकारी स्तर पर जमीन उपलब्ध होनी चाहिए ताकि भवन का निर्माण हो सके़ लेकिन, अभी तक ऐसा नहीं हो सकता है़
अजय कुमार दूबे, अधिवक्ता
संख्या के हिसाब से सुविधा कम
कोर्ट परिसर में जो कुछ भी दिख रहा है़ सब कुछ बार एसोसिएशन का है़ लेकिन, अधिवक्ताओ के संख्या के हिसाब से यह सुविधा कम है़ इसपर भी काम होना चाहिए़
सुशील शशांक, अधिवक्ता
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