स्वास्थ्य निदेशालय से जाली नियुक्ति पत्र लाकर हथियाई थी नौकरी
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फर्जी नियुक्ति मामले में दो स्वास्थ्यकर्मियों पर केस
स्वास्थ्य निदेशालय से जाली नियुक्ति पत्र लाकर हथियाई थी नौकरी सीएस के आदेश पर दोनों कर्मियों के खिलाफ दर्ज करायी गयी प्राथमिकी बेतिया : जाली नियुक्ति पत्र पर नौकरी हथियाये दो कर्मियों पर सीएस कार्यालय में पदस्थापित चिकित्सा पदाधिकारी डा़ नीतेशध्यवज सिंह ने नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है़ प्राथमिकी सिविल सर्जन डा़ नंदकुमार […]
सीएस के आदेश पर दोनों कर्मियों के खिलाफ दर्ज करायी गयी प्राथमिकी
बेतिया : जाली नियुक्ति पत्र पर नौकरी हथियाये दो कर्मियों पर सीएस कार्यालय में पदस्थापित चिकित्सा पदाधिकारी डा़ नीतेशध्यवज सिंह ने नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है़ प्राथमिकी सिविल सर्जन डा़ नंदकुमार मिश्र के आदेश पर नगर थाना में दर्ज करायी गयी है़ प्राथमिकी में कंकड़बाग पटना के रहने वाले कुमार विनय कुमार वर्मा व सुबोध कुमार सिंह को आरोपी बनाया गया है़
कर्मियों पर आरोप है कि दोनों ने गौनाहा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में निदेशालय स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक (प्रशासन) डा़ आजाद हिन्द प्रसाद के फर्जी हस्ताक्षर कर पुरूष व परिवार कल्याण कार्यकर्ता के रूप में नौकरी हथिया ली थी़ विभागीय जांच के दौरान दोनों की नियुक्ति फर्जी पाये गये. स्वास्थ्य विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए सीएस को दोनों कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया था़ नगर थानाध्यक्ष बिमलेन्दू कुमार ने बताया कि दोनों कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है़
सीएस फंसे,तो हुई प्राथमिकी: अगर कुमार विनय वर्मा व सुबोध कुमार सिंह के फर्जी नियुक्ति के मामले में अगर सिविल सर्जन डा़ नंदकुमार मिश्र नहीं फंसते,तो दोनों कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं होती है़ हुआ यूं कि दोनों आरोपी कर्मियों ने स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक पटना के फर्जी हस्ताक्षर से नियुक्ति पत्र लेकर जिले में स्वास्थ्य प्रशिक्षक के पद पर योगदान दिया था़ योगदान देने के बाद कुमार विनय वर्मा की पदस्थापना गौनाहा पीएचसी में कर दिया गया था़
निदेशक के आदेश को ठेंगा दिखा जिले में हुई फर्जी बहाली : जिले में सात स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति फर्जी पायी गयी है़ ऐसी स्थिति तब उत्पन हुई है़ जब निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डा़ आजाद हिन्द प्रसाद ने राज्य के सभी सिविल सर्जनों को जनवरी माह में पत्र भेज नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट निर्देश भेजा था़ सिविल सर्जनों को भेजे पत्र में निदेशक ने स्पष्ट किया था कि किसी भी कर्मचारी की नियुक्ति करने के पूर्व उसकी पूरी तरह जांच पड़ताल करा ले़ यदि संपुष्टि के क्रम में पता चले कि पत्र फर्जी है तो तुरंत कानूनी कार्रवाई की जायेगी़
बावजूद इसके बेतिया में सात स्वास्थ्य कर्मियों का नियुक्ति पत्र फर्जी पाया गया है़ जो स्वास्थ्य विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है़ आखिर कैसे स्पष्ट विभागीय निर्देश के बावजूद फर्जी बहाली की गयी़
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