बगहा (प. चंपारण) : वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व में एक और बाघ की हत्या कर दी गयी. गनौली जंगल में शिकारियों ने एक रॉयल बंगाल टाइगर, दो तेंदुए, एक सुअर व एक हिरण को जहर देकर मार डाला. वन क्षेत्र के वन कक्ष संख्या टी-16 (हथिअहवा नाला) के पास से शनिवार देर शाम झाड़ी में फंसे रॉयल बंगाल टाइगर का क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया. वहां से करीब 50 मीटर की दूरी पर सुअर व हिरण का कंकाल भी मिला है.
आशंका है कि शिकारियों ने हिरण व सुअर को मार कर उसके मांस में जहर मिला दिया था, जिसको खाने से बाघ की मौत हुई है. उसी जगह पर एक सप्ताह पूर्व ग्रामीणों ने दो तेंदुए का कंकाल देखा था. हालांकि तेंदुए के मारे जाने की पुष्टि वन विभाग के अधिकारी नहीं कर रहे हैं.
एक माह पूर्व दिया गया था जहर
वन निदेशक ने बताया कि जनवरी में ही शिकारियों ने बाघ को जहर दिया था, जिससे उसकी मौत हो गयी थी. वन कर्मियों की लापरवाही के कारण करीब एक माह बाद शव की बरामदगी हुई है.
इसकी जांच की जा रही है. कुछ वन कर्मियों को चिह्नित किया गया है. जांच-पड़ताल कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. गनौली के जंगल से बरामद सुअर के मस्तिष्क कंकाल को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जायेगा. जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जायेगी.
शिकारियों को खोजते रहे और बाघ तड़प कर मर गया
गत जनवरी माह में वन अपराध नियंत्रण ब्यूरो दिल्ली की टीम आयी थी. ब्यूरो के अधिकारियों के प्रयास से बाघ की खाल व कंकाल के साथ शिकारियों की गिरफ्तारी हुई. उसी दौरान शिकारियों ने एक रॉयल बंगाल टाइगर को मारने के लिए जहर दे दिया था. इधर, वन विभाग के अधिकारी तस्कर व शिकारियों को खोजते रहे और उधर बाघ जंगल में तड़प-तड़प कर मर गया.
वन कर्मियों से हुई पूछताछ
बाघ की मौत मामले की जांच करने के लिए पहुंचे वन संरक्षक आरबी सिंह ने रविवार को गनौली रेंज ऑफिस में अधिकारियों के साथ बैठक की. इसके बाद ड्यूटी में तैनात वन कर्मियों को बारी-बारी से बुला कर पूछताछ की गयी. वन निदेशक ने बताया कि गश्ती दल के क्रियाकलाप की जांच हो रही है. गश्ती के दौरान लापरवाही के कारण ही बाघ का शव विलंब से बरामद किया गया. दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
सात साल में मारे गये सात बाघ
पिछले सात साल के दौरान टाइगर रिजर्व में सात बाघों की मौत हुई है. 2008 में नौरंगिया के जंगल में बाघ का शव मिला था. इसके बाद 2010 में तस्करों ने बाघ की हत्या कर जमीन में गाड़ दिया था. 2013 में मदनपुर और नौरंगिया से दो बाघों के शव बरामद किये गये थे. 2015 में ट्रेन से कटकर एक बाघिन की मौत हो गयी थी.
जंगल में सड़ रहा था बाघ का शव
गश्ती के दौरान वन कर्मियों ने दुर्गंध आने पर आसपास जांच की. इस दौरान बाघ का क्षत-विक्षत शव देखा गया. शव एक महीने से सड़ रहा था. ऐसे में वन विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठते है. वन विभाग का गश्ती दल होने के बावजूद शिकारी क्यों जानवरों को अपना शिकार बना रहे हैं, यह बड़ा सवाल है.
गश्ती के दौरान वन कर्मियों को झाड़ी से किसी जानवर के सड़ने की बदबू आयी. खोजबीन में बाघ का शव बरामद किया गया. बाघ के शव का पोस्टमार्टम करा कर रविवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया. शिकारियों ने बाघ को जहर देकर मारा है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मौत जहरखुरानी से हुई है. आरबी सिंह, वन संरक्षक