बेतिया : वर्ष 2015 अब जाने वाला है. लेकिन इसकी यादें हमेशा याद आयेंगी. क्योंकि नगर परिषद के लिए 2015 काफी ऐतिहासिक रहा. पूरे साल घोटाले को उजागर करने व जांच करने में ही गुजर गये.
नप इस साल कोई बड़ा काम नहीं कर सकी. सिर्फ घोटालों में ही उलझ कर रह गयी. वही जो खाली समय मिला उसमें कुरसी की उठा-पटक चलती रही. सभापति व उपसभापति की कुरसी पर अविश्वास आये. सभापति ने अपनी कुरसी तो बचा लेकिन उपसभापति जाहिदा को गवानी पड़ी.
2015 में भी नहीं छोड़ा शौचालय घोटाला ‘भूत’
वर्ष 2014 के जून माह में नगर परिषद में 49 लाख के शौचालय घोटाला का जो मामला उजागर हुआ. उसका ‘भूत’ वर्ष 2015 तक नप को परेशान करता रहा. सभापति जनक साह को बार इस मामले में नगर विकास सह आवास विभाग तक यह मामला दौड़ा दिया. वही इस घोटाले की जांच में ही नप का विकास पूरी तरह उलझा ही रह गया.
सभापति की कुरसी से चिपकी रही परेशानी
सभापति जनक साह के लिए वर्ष 2015 काफी परेशानी भरा रहा. वे नप के विकास के लिए कोई नयी योजना नहीं बना सके.
अगर बनाये भी तो उसे धरातल पर उतार नहीं सकें. क्योंकि उनके कुरसी से पूरे साल परेशानी चिपका रहा. इतना ही नहीं वर्ष 2014 में अविश्वास तो आया ही. लेकिन पार्षदों ने 2015 में ही उनकी कुरसी गिराने से बाज नहीं आये. अविश्वास तो लगा दिये. लेकिन सभापति जनक साह ने कुरसी बचा ली.
ऐतिहासिक रहा उपसभापति का कुरसी जाना
नप की राजनीति में साल 2015 ऐतिहासिक हो गया. क्योंकि नगर परिषद के गठन के बाद आज तक कभी भी कोई सभापति या उपसभापति अविश्वास में नहीं हटे थे. वर्ष 2015 में यह रिकार्ड टूटा और उपसभापति की कुरसी भी गिरी.
उपसभापति जाहिदा खातून अविश्वास की वोटिंग में पार्षदों का विश्वास मत नहीं जीत पायी और कुरसी से हटना पड़ा. इसी वर्ष नये उपसभापति के रुप में कुमार गौरव उर्फ रिंकी गुप्ता ने कुरसी संभाली.