बेतिया : बेतिया पुलिस के एक दारोगा का मानवीय चेहरा सामने आया है. करीब 7 वर्ष से मां-बाप से बिछड़े बच्चे को सोमवार को मिला दिया. यह काम किया है दारोगा सुनील कुमार ने. बच्चे को उनके मां-बाप मिल जाये, इसके लिए कई माह से दारोगा नेट का सहारा लेते रहे. आखिकार उसे बच्चा के आशियाना पश्चिम बंगाल के सिवड़ी थाना के सिवड़ी आड्डा मिला.
जहां भटके बच्चा शोसती मल्ल के पिता मानिकमाल व रीता देवी. दारोगा ने उन्हें सूचना दी. दारोगा सुनील कुमार की सूचना मिलते हीं भटके बच्चे के मां-बाप बेतिया पहुंचे. रविवार का चाइल्ड लाइन के माध्यम से विधवत बच्चे को उसके मां-बाप को सौंप दिया गया.
छह माह पूर्व दारोगा सुनील को मझौलिया में मिला था भटका बच्चा
दारोगा सुनील कुमार को बंगाल से भटका हुआ बच्चा मझौलिया में मिला. जब वे उस समय तत्कालीन थानाध्यक्ष थे. बच्चे के मिलने के बाद वह केवल अपना नाम ही बता पा रहा था. उसके बाद बच्चे को दारोगा ने अपने पास रख लिया व उसके घर के पता लगाने में जुट गये. कुछ दिन बीतने के बाद बच्चा केवल अपने गांव का ही नाम बता रहा था.
गांव का नाम जानने के बाद दारोगा नेट से उसके घर का पता ढ़ूढ़ने लगे. आखिरकार उन्हें हाल के दिनों में बच्चे के घर का पता मिल हीं गया.
कई राज्यों व शहरों से भटका है शोसती: बच्चे ने चाइल्ड लाइन में बताया कि वह पानीपत, सूरत, गढ़वा, पूर्वी चम्पारण के सुगौली से होते हुए मझौलिया पहुंचा था. जहां दारोगा सुनील कुमार ने उसे पनाह दिया.
बच्चे का पिता करता है राजमिस्त्री का काम: बंगाल से अपने भटके पुत्र को ले जाने आये मानिकमाल व उसकी पत्नी रीता देवी ने चाइल्ड लाइन पहुंचे. जहां चाइल्ड लाइन के अधिकारी व दारोगा सुनील को मानिकमाल ने बताया कि वह राजमिस्त्री का काम करता था. वे अपने बेटे को पाने की चाह छोड़ चुके थे. पर भगवान की मर्जी व दारोगा जी के कारण हीं वे अपने पुत्र को पा सके.