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कमिश्नर के सामने रो पड़ा गणोश

नौरंगिया गोलीकांड : घायलों के घर जाकर जांच आयोग के सचिव ने ली गवाही बगहा पुलिस फायरिंग न्यायिक जांच आयोग की ओर से बहाल कमिश्नर सह आयोग के सचिव बैद्यनाथ प्रसाद ने पुलिस फायरिंग में गंभीर रूप से घायल दो लोगों की गवाही उनके घर जा कर ली. गवाही के दौरान पिछले दो वर्ष से […]

नौरंगिया गोलीकांड : घायलों के घर जाकर जांच आयोग के सचिव ने ली गवाही
बगहा पुलिस फायरिंग न्यायिक जांच आयोग की ओर से बहाल कमिश्नर सह आयोग के सचिव बैद्यनाथ प्रसाद ने पुलिस फायरिंग में गंभीर रूप से घायल दो लोगों की गवाही उनके घर जा कर ली. गवाही के दौरान पिछले दो वर्ष से जिंदगी से जंग लड़ रहा दरदरी गांव निवासी गणोश महतो फफक पड़ा.
बगहा/हरनाटांड़ : नौरंगिया पुलिस फायरिंग मामले की जांच के लिए गठित बगहा पुलिस फायरिंग जांच आयोग के सचिव सह गवाही के लिए प्रतिनियुक्त कमिश्नर भारतीय प्रशासनिक सेवा के रिटायर्ड अधिकारी बैद्यनाथ प्रसाद ने शनिवार को दोनों घायलों का उनके घर जा कर बयान दर्ज किया.
नौरंगिया थाने के कठइया गांव के मदन महतो एवं वाल्मीकिगर थाने के दरदरी गांव के गणोश महतो के घर आयोग के कमिश्नर गये. दोनों से मिले और उनकी गवाही ली. गवाही के दौरान व्यापक सुरक्षा व्यवस्था थी. वहां सिर्फ कमिश्नर, प्रशासनिक अधिकारी, सरकारी अधिवक्ता एवं पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता मौजूद थे. किसी अन्य ग्रामीण को नहीं जाने दिया गया. दोनों पीड़ितों से कमिश्नर ने करीब आधे – आधे घंटे तक बात की.
मौके पर एसडीएम मो मंजूर आलम, आयोग के वरीय अधिवक्ता राजेंद्र कुमार गिरि, साक्षियों के अधिवक्ता राज बल्लभ राव, सुशील प्रसाद एवं शिव कुमार, वाल्मीकिनगर के थानाध्यक्ष श्यामबाबू प्रसाद, नौरंगिया के थानाध्यक्ष सुधीर कुमार, गोली कांड संघर्ष समिति के संयोजक दीप नारायण प्रसाद, महेश्वर काजी समेत अन्य उपस्थित थे.
गोलीकांड के 104 गवाह
नौरंगिया गोली कांड में कुल 104 लोगों की गवाही होनी थी, जिसमें से अब तक 95 लोगों की गवाही हो चुकी है. पीड़ित पक्ष की ओर से 65 लोग एवं सरकारी पक्ष से 39 लोग गवाह हैं. इनमें से 9 लोगों की गवाही अभी और शेष है. ये सभी 9 गवाह सरकारी पक्ष के हैं. मसलन, इन नौ गवाहों की गवाही पूरी होने के बाद गोली कांड के सिलसिले में जांच आयोग का रिपोर्ट आ सकता है. आयोग के कार्यकाल के तकरीबन दो वर्ष पूरे होने वाले हैं.
आयोग के सचिव ने बताया कि आगामी 23, 24 एवं 25 मई को शेष गवाहों की गवाही बेतिया में होगी. उन्होंने बताया कि दोनों घायल गवाही की गवाही ली गयी है. इन लोगों ने अपना पक्ष प्रमुखता के साथ रखा. तत्कालीन डीएम श्रीधर सी, एसपी सुनील कुमार की गवाही हो चुकी है. तत्कालीन एसडीएम अनिमेष कुमार पराशर की गवाही अभी बाकी है.
नौरंगिया गोली कांड संघर्ष समिति के संयोजक दीपनारायण प्रसाद ने बताया कि पीड़ितों को न्याय मिलने में काफी विलंब हुआ. सरकारी पक्ष के गवाही समय से गवाही देने के लिए नहीं आये. इस वजह से विलंब हो रहा है. अगर समय से आयोग अपना फैसला सुना देता तो पीड़ितों को न्याय मिल जाता. उन्होंने घायलों के इलाज कराने एवं उनके परवरिश के लिए सरकारी सहायता की मांग की है.
वैशाखी है मदन का सहारा
नौरंगिया थाने के कठइया गांव के मदन महतो की जिंदगी बेहद खुशहाल थी. वह अपने बाल-बच्चों के साथ मजदूरी कर जिंदगी गुजार रहा था. गोली कांड में पुलिस की एक गोली उसके जांघ में आ कर धंस गयी. उसने बताया कि सरकारी स्तर से बेहतर ढंग से इलाज नहीं हो रहा था. इस लिए चार कट्ठा जमीन था. उसे बेच दिया. इलाज कराया. जिंदगी तो बच गयी. लेकिन एक पैर छोटा हो गया. अब वैशाखी हीं सहारा है. वाल्मीकिगर थाने के दरदरी गांव के गणोश महतो एक दम लाचार है. वह बिस्तर पर पड़ा रहता है. परिवार के अन्य सदस्य उसी के सेवा में लगे रहते हैं.
उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गयी है. उसने बताया, मैं तो बाजार जा रहा था. तभी पुलिस वालों ने अंधाधुंध गोली चलाना आरंभ कर दिया. मैं भागने लगा, एक गोली मेरे पीठ में आ कर धंस गयी. मैं वहीं पर बेहोश हो गया. तब से इसी तरह लाचार की जिंदगी जी रहे हैं. बाल बच्चों की पढ़ाई छूट गयी.
बगैर इजलास की गवाही
अधिवक्ता सुशील प्रसाद ने बताया कि जांच आयोग अधिनियम 1956 की धारा 4(डी) के प्रावधानों के अंतर्गत कमिश्नर की नियुक्ति होती है. वैसे गवाह जो, आयोग के समक्ष इजलास पर जा कर गवाही देने में सक्षम नहीं होते . उनके घर या अस्पताल में गवाही लेने के लिए कमिश्नर बहाल किये जाते हैं. उसी प्रावधान के तहत नौरंगिया गोली कांड के घायल मदन महतो एवं गणोश महतो की गवाही ली गयी.

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