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तीन दिन बाद बच्चों को मिला निवाला
काठमांडू से लौटे मजदूरों की दर्द भरी दास्तां रामनगर : नेपाल में भूकंप की महा प्रलय से जान बचा कर नरैनापुर के मो. अब्दुल्लाह अपनी पत्नी मजीना और तीन बच्चों के साथ मंगलवार को घर पहुंचा. इन लोगों के चेहरे पर भूकंप का भय स्पष्ट झलक रहा है नेपाल में बढ़ई का काम करने वाला […]
काठमांडू से लौटे मजदूरों की दर्द भरी दास्तां
रामनगर : नेपाल में भूकंप की महा प्रलय से जान बचा कर नरैनापुर के मो. अब्दुल्लाह अपनी पत्नी मजीना और तीन बच्चों के साथ मंगलवार को घर पहुंचा. इन लोगों के चेहरे पर भूकंप का भय स्पष्ट झलक रहा है
नेपाल में बढ़ई का काम करने वाला अब्दुल्लाह विगत 25 अप्रैल को चार मंजिली इमारत में काम कर रहा था. तभी जोर से जोर से आवाजें आने लगी. तड़तड़ घड़धड़ की आवाज आ रही थी. लोग घर से निकल कर भाग रहे थे. अब्दूला भी भागा. वहां से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर उसके बीबी और बच्चे थे.
जब वह अपने किराये के मकान के पास पहुंचा तो देखा पूरा घर मलवा में तब्दील हो गया है. उस वक्त मानों अब्दूला पर पहाड़ गिर गया हो. वह दहाड़ मार कर रोने लगा. तभी पास आ कर उसकी पत्नी मजीना बोली, उधर चलिए, यहां खतरा है. हम सभी सुरक्षित है. बच्चे भी वहीं हैं. पत्नी और बच्चे को सुरक्षित देख कर उसके जान में जान आयी.
उल्लेखनीय है कि काठमांडू में ठमेल में वह रहता था. सारी रात उसने ठमेल स्थित एक विद्यालय के परिसर में खुले आसमान के नीचे गुजारी. वहां खाने पीने का कोई इंतजाम नही था. तीनों बच्चे भूख से तड़प रहे थे. 26 अप्रैल को वह जैसे तैसे काठमांडू स्थित एयरपोर्ट पहुंचा .
जहां पांच हजार से अधिक लोग पहले से ही कतार में लगे थे. रविवार की रात एयरपोर्ट में गुजारने के बाद वह सोमवार को काठमांडू के कलंकी स्थित बस अड्डे पर पहुंचा. जहां से एक टाटा सुमो से वह सोमवार की शाम वीरगंज आया. वहां आर्मी की मदद से अब्दूल्ला रक्सौल आ गया.
घायल मजदूर घर लौटे
काठमांडू से लौटे मजदूर मो. नजीर ने बताया कि शनिवार को आये भूकंप के बाद जिस जगह वह काम कर रहा था. वहां भगदड़ की स्थिति कायम हो गई. कई मजदूरों को चोंटे भी आयी है.
मझौलिया के दो मजदूर लौटे
वाल्मीकिनगर. बेतिया पुलिस जिला के मझौलिया थाने के बड़हिया टोला गांव के नबीरसूल, गुफरान एवं मो आलीम पिछले 26 वर्ष से पोखरा में रह कर मजदूरी करते थे. ये दोनों मजदूर मंगलवार की दोपहर वाल्मीकिनगर गंडक बराज के समीप पहुंचे. बताया कि करीब 50 किलोमीटर पैदल चलने के बाद बस मिली थी. उसके बाद कहीं जा कर जान में जान आयी थी.
इन दोनों में बताया कि नेपाल के स्वयंयजां में रहते थे. भूकंप आया तो जिस घर में काम कर रहे थे. वह घर गिरने लगा. हम दोनों भाई वहां से भागे. इन मजूदरों ने बताया कि भगदड़ के कारण कई लोगों की मौत हुई है. प्रत्येक पांच मिनट के बाद धरती हिल रही थी. वहां से निकलने के लिए कोई सवारी नहीं थी.
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