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बैंक, बीएसएनएल, बिजली विभाग, पेट्रोल पंप, ऑटो हर जगह सिक्के को ले किचकिच

भले ही आरबीआई सभी निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों पर नियंत्रण रखने के दावे करे, लेकिन उसकी ओर से जारी पैसे भी बैंकों में नहीं चलते. इसकी बानगी गुरुवार को उस समय दिखी, जब ‘प्रभात खबर’ की टीम शहर के बैंकों, सरकारी दफ्तरों, पेट्रोप पंप व अन्य जगहों पर इसकी पड़ताल की. पेश है […]

भले ही आरबीआई सभी निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों पर नियंत्रण रखने के दावे करे, लेकिन उसकी ओर से जारी पैसे भी बैंकों में नहीं चलते. इसकी बानगी गुरुवार को उस समय दिखी, जब ‘प्रभात खबर’ की टीम शहर के बैंकों, सरकारी दफ्तरों, पेट्रोप पंप व अन्य जगहों पर इसकी पड़ताल की. पेश है रिपोर्ट…

बेतिया : आज के दौर में नेट बैंकिंग, डेबिट, क्रेडिट, एटीएम, पेटीएम व भीम जैसे एप के प्रयोग करने वालों की संख्या कई गुना बढ़ी हैं. लेकिन इसके बावजूद बैंकों की शाखाओं में अड़चनें, उलझने व बहसबाजी कम नहीं हुई है.
मौजूदा समय में सिक्कों को लेकर बैंक नखरे दिखा रहे हैं. नतीजा हर रोज बैंकों में नोंकझोक के मामले सामने आ रहे हैं. खुद बैंक ही सिक्के नहीं ले रहे हैं, इससे बाजार में भी सिक्के को लेकर संशय बन गया है. नतीजा है कि बैंक ही नहीं बीएसएनएल काउंटर, बिजली ऑफिस, पेट्रोल-पंप, ऑटो, दुकान हर जगह सिक्के को लेकर चिकचिक हो रही है. हालात यह हो गया है कि पांच व दस रुपये के सिक्के तो किसी तरह चल जा रहे हैं, लेकिन एक व दो रुपयेके सिक्के को खपाना चुनौती बन गया है. एक रुपये के छोटे सिक्के तो तो अघोषित रूप से बाजार ने चलन से बाहर कर दिया है. इसे कोई स्वीकार करने को तैयार ही नहीं है.
यह हाल तब है, जब शहर में राष्ट्रीयकृत व निजी बैंकों की तकरीबन 30 शाखाएं हैं. लेकिन, कुछ शाखाओं को छोड़ दें तो बाकी बैंकों में सिक्कों को लेकर आरबीआई के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है. आरबीआई ने सिक्के लेने, सिक्का जमा करने की लिखित नोटिस चस्पा करने, सिक्का जमा करने के लिए मेला लगाने तक के तमाम निर्देश दिये हैं, लेकिन बैंक कर्मियों की कमी की बात कहकर सिक्के लेने से आनाकानी कर रही हैं. यहां तक की बैंक की शाखाओं में सिक्का स्वीकार करने की सूचना भी नहीं लगी है. अलग से कोई काउंटर भी नहीं बनाया गया है. नतीजा यह समस्या इतनी बढ़ गयी है कि व्यवसायी भी ग्राहकों से सिक्के लेने में आनाकानी कर रहे हैं. इसको लेकर हाहाकार मचा हुआ है. सबसे बड़ी समस्या थोक विक्रेताओं को हैं, उनके यहां सिक्कों की खेप जमा हो गई हैं.
सिर्फ 50 रुपये तक का सिक्का लेंगे
रोजाना की तरह काउंटर पर भीड़ लगी है. कतार में खड़े होकर लोग बिल बकाया का भुगतान कर रहे हैं. कई सिक्का लेकर आये हैं, लेकिन सिक्का में महज 50 रुपये तक ही जमा हो रहा है. हालांकि इस तरह का कोई नोटिस भी काउंटर पर नहीं लगा है कि यहां सिक्का नहीं लिया जाता है या लिया जाता है तो महज पचास रुपयेतक का ही लिया जाता है. ग्राहकों ने बताया कि बिल बकाया जमा करने में सिक्का नहीं लिया जा रहा है. जबकि बकाया होने पर बार-बार कनेक्शन काटने की चेतावनी दी जा रही है. सभी तरफ से हम लोगों को ही परेशान किया जा रहा है.
सिर्फ फुटकर एमाउंट ही सिक्का लेंगे
स्थान: बीएसएनएल काउंटर
समय: 12.40 बजे
काउंटर पर इक्का-दुक्का लोग खड़े थे. हम भी बकाये बिल जमा करने को लिए दाखिल होते हैं. 216 रुपये बिल बकाया भुगतान के एवज में सिक्का देने पर कर्मी लेने से मना कर देता है. कहता है कि सिर्फ फुटकर एमाउंट यानि 16 रुपये का सिक्का लेंगे. बाकी के दो सौ रुपये नोट देने होंगे. यह पूछने पर कि इसका कोई नोटिस तो चस्पा नहीं है.. कर्मी कहता है कि बैंक हमसे भी सिक्का नहीं ले रहा है. इसके चलते यह समस्या उत्पन्न हुई है.
खास बातें
एक रुपये के छोटे सिक्के को बाजार ने चलन से किया बाहर, पांच व दस के सिक्के को खपाना बनी चुनौती
सिक्के को लेकर हर कोई दिखा रहा नखरा, दुकानों
पर भी होती है किचकिच
पांच व दस रुपये का ही सिक्का चलेगा
एक और दो रुपये का सिक्का नहीं चलेगा. पांच व दस रुपये का सिक्का लेंगे. यह बातें नेपाली पथ पेट्रोल पंप के कर्मी ने ईंधन भुगतान के लिए सिक्के के बारे में पूछने पर बताया. कर्मी ने बताया कि पांच व दस रुपयेका सिक्का सिर्फ 50 रुपयेतक का ही लिया जायेगा. हालांकि यह पूछने पर कि इस तरह का निर्देश किसके स्तर से जारी किया गया है… इसपर कर्मी चुप हो जाता है और कहता है कि बैंक खुद नहीं ले रहे हैं. ग्राहक भी सिक्का लौटाने पर लेने से मना करता है. ऐसे में हम क्या करें.
जमा करने सभी आते हैं, लेता कोई नहीं है
स्थान: बैंक आफ बड़ौदा
समय: 01.40 बजे
ग्राहकों की भीड़ लगी है. कोई डिपॉजिट तो निकासी के पहुंचा है. सिक्के जमा करने के बारे में पूछने पर कैशियर ने बताया कि आरबीआई ने हर रोज एक बैंक ग्राहक से एक हजार रुपये लेने का नियम जारी किया है. इस नियम का असर है कि बैंक के लॉकर सिक्के से भर चुका है. सिक्का रखने तक का जगह नहीं है. हर दस में से चार से पांच लोग सिक्का लेकर जमा करने पहुंच रहे हैं. लेकिन, सिक्का लेने को कोई भी तैयार नहीं है. यहां तक कि 500 रुपये तक का भी सिक्का ग्राहक नहीं लेते हैं. अगर वे सिक्के लेते तो परेशानी नहीं होती और बैंक और बाजार में भी सिक्कों का फ्लो रहता़

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