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सुरक्षा छोड़ बैंकों के अन्य सारे काम निपटाते हैं गार्ड, सेफ्टी भगवान भरोसे

आये दिन एटीएम और बैंकों में लूट की घटनाएं हो रही हैं. बावजूद इसके जिले की कई एटीएम एवं बैंक की शाखाओं में सुरक्षा गार्ड नहीं हैं. सबसे बदतर स्थिति ग्रामीण क्षेत्र के बैंकों की है. जिनकी सुरक्षा भगवान भरोसे है. इनमें न तो सुरक्षा गार्ड हैं और न ही निगरानी रखने के लिए बेहतर […]

आये दिन एटीएम और बैंकों में लूट की घटनाएं हो रही हैं. बावजूद इसके जिले की कई एटीएम एवं बैंक की शाखाओं में सुरक्षा गार्ड नहीं हैं. सबसे बदतर स्थिति ग्रामीण क्षेत्र के बैंकों की है. जिनकी सुरक्षा भगवान भरोसे है. इनमें न तो सुरक्षा गार्ड हैं और न ही निगरानी रखने के लिए बेहतर सीसीटीवी कैमरे. बैंक कर्मी जान को दांव पर लगाकर लाखों की रकम बाइक से मुख्य शाखा से लाते व ले जाते हैं.

बेतिया : शहर समेत ग्रामीण इलाकों में संचालित ज्यादातर बैंकों की सुरक्षा भगवान भरोसे चल रही है. कई बैंकों में तो सीसीटीवी कैमरे तक नहीं हैं और जिनमें हैं वो चल ही नहीं रहे. बैंक व एटीएम में तैनात गार्डों के हाथों में बंदूक तो छोड़ दें एक डंडा भी नहीं है. सड़क किनारे संचालित हो रहे बैंकों को तो ज्यादा खतरा है. वहीं सुरक्षा के मामलों में पुलिस अपने आप को पूरी तरह से सतर्क बता रही है. रात्रि गश्त भी बढ़ाने के दावे हो रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में कई बैंकों में अलार्म तक की व्यवस्था नहीं की गयी है.
पुलिस का भी मानना है कि दिन में लोगों की चहल-पहल के दौरान हादसे को अंजाम देना फिर भी एक नजरिए से चुनौती भरा होता है . लेकिन रात के अंधेरे में वारदात को अंजाम देना आसान हो जाता है. रात के अंधेरे में होनेवाले गुपचुप हादसों के लिए बैंक में लगाये जानेवाला अलार्म बहुत ही उपयोगी साबित होता है. कई बैंकों ने अपने ब्रांच में अलार्म तक की व्यवस्था नहीं करायी है. इतना ही नहीं कुछ बैंक निजी सुरक्षा गार्ड रखने से भी परहेज करते हैं. जबकि एटीएम की हालत तो एकदम खस्ताहाल है.
एटीएम बिना गार्ड के ही चल रहे हैं. इससे अनहोनी की आशंका बनी रहती है. समय-समय पर पुलिस की ओर से बैंकों में अभियान चलाया जाता है, उसमें तमाम खामियां मिलती हैं. बावजूद इसके बैंक सतर्क नहीं दिख रहे हैं.
जिले में बैंकों की हैं 183 शाखाएं: जिले मे विभिन्न बैंकों की लगभग 183 शाखाएं हैं. इसमें से करीब 50 शाखाएं शहर में ही हैं, लेकिन महज 10 से 12 शाखाओं में ही सुरक्षा गार्ड दिखायी देंगे. एसबीआई की मुख्य शाखा को छोड़ दे तो कहीं भी होमगार्ड के जवान आजकल नहीं है. वहीं कुछ गिने चुने बैंकों में निजी गार्ड भी बिना आर्म्स के काम करते देखे जा सकते है.
सुरक्षा छोड़ काउंटर पर रहते हैं गार्ड
शहर के कुछ बैंकों में कहने को तो सुरक्षा गार्ड हैं, लेकिन ज्यादातर बैंकों में वह सुरक्षा कार्य छोड़ अन्य सभी कार्य निपटाते दिखेंगे. कहीं पर सुरक्षा गार्ड चाय-पानी पहुंचाने में तल्लीन दिखते हैं तो कहीं पर काउंटरों पर काम निपटाते हुए मिलते हैं. कई बैंक में तो आवेदन जमा करने, फार्म देने के लिए सुरक्षा गार्ड को ही लगा दिया गया है.
हो चुकी हैं कई घटनाएं : यदि आंकड़ों पर गौर करे तो मुफस्सिल थाना के सेंट्रल बैंक ऑफ इण्डिया की शाखा धूमनगर में 29 जून को चोरी का प्रयास चोरो ने किया था. जिसमें असफल होने पर बैंक में आगजनी की घटना को भी अंजाम दिया था. इसके पूर्व वर्ष 2016 में 17 जनवरी की रात भारतीय स्टेट बैंक के पारसपकड़ी शाखा में भीषण चोरी की घटना को चोरो ने अंजाम दिया था. जिसमें चोरों ने 50 लाख के जेवरात एवं 8लाख नगद की चोरी कर ली थी. भले ही बैंक लूट की घटना को अंजाम नही दिया गया हो. लेकिन बैंको से निकलकर अपने घरों को जानेवाले ग्राहकों को लुटेरे अपना निशाना बनाने से नहीं चूकते हैं. पुलिस भी मानती है कि लूट की घटना को अंजाम देनेवाले अपराधी बैंको से हीं उपभोक्ताओं का पीछा करते है. कई बैंकों में लगाये गये सीसीटीवी कैमरे भी पूरी तरह से काम नहीं करते हैं. इस कारण अपराधियों को ढूंढ निकालने में भी पुलिस को परेशानी होती है.

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