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बिजली, सड़क, पानी और नाली से दूर मछली बाजार

हमारे बाजार. कभी कोई भी अधिकारी नहीं आता हाल जानने बेतिया : मीना बाजार का मछली और मांस बाजार अस्तित्व संकट से जूझ रहा है. जल-जमाव और कीचड़ के बीच यह बाजार सजाया जा रहा है. नये जमाने की आये तमाम बदलाव से यह बाजार दूर है. बेतिया राज के जमाने में इस बाजार की […]

हमारे बाजार. कभी कोई भी अधिकारी नहीं आता हाल जानने

बेतिया : मीना बाजार का मछली और मांस बाजार अस्तित्व संकट से जूझ रहा है. जल-जमाव और कीचड़ के बीच यह बाजार सजाया जा रहा है. नये जमाने की आये तमाम बदलाव से यह बाजार दूर है. बेतिया राज के जमाने में इस बाजार की अपनी महता रही है. लेकिन अंग्रेजी हुकुमत के शेड की कभी मरम्मती तक नहीं हो सकी. वर्तमान में इन दोनों बाजार के जर्जर शेडों के परखचे उड़ गये हैं. सड़क, बिजली, पानी, नाली, साफ-सफाई समेत अन्य तरह की जरूरतों की सारी बुनियादी व्यवस्थाएं ध्वस्त हैं.
बाजार के चारों ओर नालियां तो बनायी गयी हैं. लेकिन इनकी मरम्मती नहीं कराये जाने से ये ध्वस्त हो चुकी हैं. नालियों का पानी सड़क और बाजार परिसर में जल-जमाव उत्पन्न कर रहे हैं. इस कारण इन दोनों बाजारों में हर तरफ गंदगी और जल-जमाव का सामाज्य कायम है. इसके चलते यहां कभी पांच सौ से अधिक मछली और मांस के बिक्रेता व्यवसाय करते थे.
वे यहां से पलायन कर गये. यहां के मछली और मांस के व्यवसायियों से नगर परिषद की ओर से प्रतिदिन चार रूपये कौड़ी की वसूली की जाती है. लेकिन व्यवस्था और सुविधाओं के नाम पर कुछ भी मयस्सर नहीं है. व्यवसायियों का कहना है कि सरकारी पानी टंकी इस बाजार से महज सौ फीट की दूरी पर है. फिर भी जलापूर्ति व्यवस्था यहां बीस वर्ष से बंद है. इसी तरह बिजली आपूर्ति भी बीस से बंद है. इसके लिए लगाये गये तार व अन्य संसाधन ध्वस्त हो गये हैं. साफ-सफाई के लिए यहां के व्यवसायी आपसी चंदा के जरिए निजी सफाईकर्मी रखें हैं. वहीं सुरक्षा के लिए भी निजी गार्ड की व्यवस्था की गयी है.
अगले अंक में पढ़ें लाल बाजार की समस्या
प्रभात खबर हमारे बाजार अभियान के तहत अगले अंक में हम लाल बाजार की समस्या से जुड़ी खबर प्रकाशित करेंगे. टीम बुधवार को लाल बाजार में रहेगी बाजार से जुड़ी आपकी भी कोई समस्या है तो हमे बताये. हम प्रकाशित करेंगे. हमारा व्हाट्सएप नंबर है. 8521544571
बोले कारोबारी
कहने को तो यह मछली बाजार है, लेकिन कोई भी सुविधा नहीं है. शाम को यह बाजार लगता है, लेकिन बिजली का इंतजाम नहीं होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. आज तक कोई भी हमारी सुविधा के बारे में पूछने नहीं आया.
प्रमोद साह, मछली व्यवसायी
बाजार में नाली तो बनी है, लेकिन कभी सफाई नहीं होती है. नालियों का पानी भी उफनाकर बाजार में आता है. इससे कीचड़ फैला हुआ है. नगर परिषद की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
रमेश साह, मछली व्यवसायी
शेड जर्जर हो चुकी है. बरसात के दिनों में सारा पानी शेड से टपकता रहता है. जब से यह शेड बना है, तबसे कभी न तो बदला गया है और न ही मरम्मत हुई है. इसकी जांच करने भी कोई भी अधिकारी नहीं आता है.
लालू साह, मीट कारोबारी
बाजार में शौचालय और मूत्रालय की भी कोई व्यवस्था नहीं है. इससे नेचर कॉल आने पर लोग इधर-उधर कहीं भी बैठ जाते हैं. इससे गंदगी फैल जाती है. कम से कम मूत्रालय और शौचालय का इंतजाम तो होना ही चाहिए.
असगर कुरैशी, मीट कारोबारी
कभी नहीं होता डीडीटी का छिड़काव
शौचालय और मूत्रालय यहां नहीं होने से व्यवसायियों को भारी परेशानी होती है. कई बाहर से आने वाले ग्राहक इस बाजार के पास ही गंदगी फैला देते हैं. इन दोनों बाजार की नालियों की बजबाजाती कीचड़ व जलजमाव में कीड़ों की भरमार है. इनसे यहां के व्यवसायियों को हर समय महामारी की खतरे की आशंका बनी हुई है. लेकिन हद तो यह कि इन बाजारों में कभी भी डीडीटी की छिड़काव नहीं होती. इस कारण यहां के व्यवसायी संक्रामक रोगों के खतरे से दहशत में जीने को अभिशप्त बने हुए हैं.
खत्म हो गयी मांस जांच की परंपरा
इस मांस बाजार में पूर्व में स्वास्थ निरीक्षक की ओर से मांस की जांच की जाती थी. ताकि ग्राहकों को ताजी व स्वस्थ बकरों का मांस मिल सके, लेकिन अब कभी भी जांच नहीं होती है. इसको लेकर खरीददार के साथ ही कारोबारी भी सशंकित रहते हैं.
फैक्ट फाइल
400 से अधिक व्यवसायी यहां करते हैं कारोबार
दो से तीन लाख रुपये का रोज होता है कारोबार

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