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ठिठुरते में गुजरी रात, रोते-रोते सूज गईं महिलाओं की आंखें

किसी ने तिरपाल बांध तो किसी ने खुले आसमान के नीचे बीताई रात, प्रशासन को जमकर कोसा सुबह होते ही सामान सहेजने में जुटे लोग, नये ठौर की तलाश में कई हुए रवाना बेतिया : योगापट्टी के सिसवा मंगलपुर की रहने वाली सरस्वती बाढ़ पीड़ित हैं. इनका घर नदी में समा चुका है. पांच साल […]

किसी ने तिरपाल बांध तो किसी ने खुले आसमान के नीचे बीताई रात, प्रशासन को जमकर कोसा

सुबह होते ही सामान सहेजने में जुटे लोग, नये ठौर की तलाश में कई हुए रवाना
बेतिया : योगापट्टी के सिसवा मंगलपुर की रहने वाली सरस्वती बाढ़ पीड़ित हैं. इनका घर नदी में समा चुका है. पांच साल से हजारी ग्राउंड में मकान बनाकर रहती थीं. पाई-पाई जुटाकर जमीन के 20 हजार रूपये भी दिये थे. 50 हजार लगाकर मकान भी खड़ा कर लिया था. परिवार में अब जाकर थोड़ी खुशहाली आई थी, लेकिन बुधवार को सरस्वती एक बार फिर पांच साल पीछे उसी हालात में पहुंच गईं. जब बाढ़ में इनका घर समाया था. सरस्वती का आशियाना छीन चुका था. सामान मलबे में डूबे हुए थे. बिछाने का बिछौना और ओढ़ने को कंबल तक नहीं था. नतीजा पूरा परिवार खुले आसमान में नीचे ठिठुरन में रात बीताया. पूरा रात रोने में ही बीत गया.
सुबह होते ही सूजी हुई आंखों के साथ बच्चों को ढांढस बंधाते हुए और प्रशासन को कोसते हुए सरस्वती चुपचाप यहां से किसी नये ठौर की तलाश में चली गई. यह तो महज बानगी है. हकीकत में सरस्वती ही नहीं बल्कि गुरूवार को सैकड़ों परिवारों की स्थिति ऐसे ही दिखी. बेघर कर दिये गये लोगों में कोई तिरपाल बांधकर रात गुजारा तो कोई खुले आसमान के तले ही अपना रात गुजारे.
नौतन की गायत्री, योगापट्टी की ही सुनीता, श्रीमती देवी आदि की भी कहानी कुछ ऐसे ही थी. तिरपाल बांध कर अपने पालतु कुत्ते व मासूम बेटे के साथ बैठकर रो रही रानी ने बताया कि उनके पति मोहित के साथ वह यहां रहती थी. उनका मकान तोड़ दिया गया है. घर का सारा सामान मलबे में दब गया है. अब समझ में नहीं आ रहा है क्या करें. रानी ने बताया कि उनके पास कोई और जगह नहीं है, वह यही रहेंगी.
घर तोड़े जाने पर वामदलों ने जताया आक्रोश : बेतिया. बेतिया राज की जमीन पर अतिक्रमण कर बसे लोगों का घर तोड़े जाने व उनपर पुलिसिया कार्रवाई की वामदलो ने कड़ी निंदा की है. वाम नेताओं ने कहा कि भाजपा जदयू सरकार ने कारपोरेट घरानों व भू माफियाओं की तरफ हमला बोल दिया है. बेतिया राज की जमीन पर 30 -35 वर्ष से बसे हुए लोगो को उजाड़ना अमीर परस्त व जनविरोधी नीति है. लोग जाड़े के दिन में सड़क पर आने को मजबूर है. बिहार सरकार करीबो से जमीन छिनकर काॅरपोरेट घरानों भू-माफियाओं व बिल्डरों को देना चाहती है. नेताओं ने बेतिया राज की जमीन पर बसे लोगो को जमीन लीज करने उजाड़े गये लोगो को मुआवजा देने की मांग की.
भाकपा माले के वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, माकपा के प्रभुराज नारायण राव भाकपा के ओम प्रकाश क्रांति ने जारी प्रेस बयान में कहा है कि वामदल जनता से जमीन छिनकर कारपोरेट कंपनी व बिल्डरों को देने का विरोध करेंगे. इसको लेकर आगे विरोध की रणनीति तय की जायेगी.
अतिक्रमण के आरोप में बेघर हुए लोगों ने जमकर सुनाई खरी-खोटी, लगाया अधिकारियों पर पैसे लेने का आरोप
पीड़ित बोले, पैसा लेकर अधिकारियों ने दिलाया था जमीन पर कब्जा

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