बेतिया : शहर के हजारी पशु मेला ग्राउंड में अतिक्रमण हटाने को लेकर पैदा हुए हालात यूं ही नहीं थे. यह भ्रष्टाचार था, बेतियाराज के उन अफसरों, राज के सिपाहियों व क्लर्क का. जिन्होंने पैसा लेकर गरीबों को बसने और घर बनाने दिया. लापरवाही थी कि पुलिस के उन अधिकारियों की, जिन्होंने पुलिस केंद्र के सामने ही कब्जा होने दिया. सुस्ती था जिला प्रशासन का, जो रोज हो रहे अवैध कब्जों पर बेखबर रहा. इसपर रोक लगाना तक उचित नहीं समझा.
नतीजा अधिकारियों की मिलीभगत से दिन रात इन जमीनों का खरीद-फरोख्त होता रहा. लोग बसते रहे. मकान बनते रहे. लिहाजा भ्रष्टाचार, लापरवाही और सुस्ती का खामियाजा अब गरीबों को भुगतना पड़ रहा है. उनकी आंखों के सामने ही मेहनत व कमाई का आशियाना तोड़ दिया जा रहा है. पीड़ितों ने बताया कि यहां कई साल से कब्जा हो रहा था. इसके लिए बकायदा रैकेट चल रहा था. जो गांव-देहात के भूमिहीन लोगों को जमीन दिलाने का लालच देते थे. पैसा लेने के बाद यहां जमीन पर कब्जा दिलाया जाता था और मकान भी खड़ा होकर बनवाया जाता था.
इसमें बेतियाराज के सिपाही व कई बाबू भी शामिल थे, जो पैसा लेते थे. इतना ही नहीं हजारी पशु मेला ग्राउंड के सामने स्थित पुलिस केंद्र के पुलिस अधिकारी से लेकर सिपाही तक यहां आकर अक्सर रैकेट से जुड़े लोगों से पैसा लेते थे. जमीन की खरीद-फरोख्त में शामिल लोगों से बेतियाराज के अधिकारियों व पुलिस से दोस्ताना व्यवहार दिखता था. ऐसे में हमे तनिक भी आभास नहीं था कि ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा. पीड़ितों ने बताया कि हमे तो बेघर कर ही दिया, लेकिन उन अधिकारियों और जमीन की खरीद-फरोख्त करने वाले लोगों के खिलाफ भी प्रशासन कार्रवाई करे.