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मनमानी. डीएम के आदेश पर डीटीओ बोले, ठेला पकड़ना मेरा काम नहीं

यूं तो मालवाहक गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन व उसका टैक्स चुकाने में गाड़ी मालिकों के पसीने छूट जाते हैं, लेकिन माल ढुलाई के प्रयोग में आने वाली एक गाड़ी ऐसी भी है, जो रजिस्ट्रेशन व टैक्स चुकाये बिना ही सड़कों पर बेखौफ फर्राटा भर रही है. बेतिया : डीएम के आदेश के बाद भी झाझा मेल […]

यूं तो मालवाहक गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन व उसका टैक्स चुकाने में गाड़ी मालिकों के पसीने छूट जाते हैं, लेकिन माल ढुलाई के प्रयोग में आने वाली एक गाड़ी ऐसी भी है, जो रजिस्ट्रेशन व टैक्स चुकाये बिना ही सड़कों पर बेखौफ फर्राटा भर रही है.

बेतिया : डीएम के आदेश के बाद भी झाझा मेल व जुगाड़ गाड़ियों के परिचालन पर रोक नहीं लग सकी है. यह आदेश पूरी तरह से बेअसर साबित हो रही है. नतीजा आज भी बिना कागज, बिना रजिस्ट्रेशन, परमिट, परिवहन टैक्स और बिना नंबर की यह जुगाड़ तकनीक की गाड़ी परिवहन विभाग के अफसरों व पुलिस की रहमों करम पर यह में खुलेआम फर्राटा भर रही हैं.
खास यह है कि इन गाड़ियों को झाझा मेल व जुगाड़ गाड़ी के नाम से जाना जाता है. इस गाड़ी में एक पंप सेट इंजन और टायर आदि लगा कर स्टेयरिंग लगा दिया गया है. सवारी गाड़ी के लिये ही नहीं, ढुलाई के लिए भी धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है. इसमें उर्वरक, किराना के सामान, टेंट हाउस के सामान, हार्डवेयर के सामान, टाइल्स इत्यादि सामानों की ढुलाई किया जा रहा है.
चूंकि यह लोकल मेड गाड़ी हैं, लिहाजा इसके ना ही कागजात होते हैं ना ही गाड़ी पर नंबर है. हालांकि मालवाहक गाड़ी के रूप में प्रयोग लाये जाने के चलते सरकार को राजस्व का चूना जरूर लग रहा है. जांच की बात तो यह है कि अभी तक गाड़ियां लोकल तौर पर कुछ लोग बनाते थे, लेकिन अब बकायदा इसका कारखाना खुल गया है. जहां से इन गाड़ियों को तैयार कर बेचा जा रहा है. इसके बाद इसका प्रयोग सवारी गाड़ी और ढुलाइ में किया जा रहा है. बता दें कि दो दिन पहले ही डीएम ने झाझा मेल व जुगाड़ गाड़ियों के परिचालन पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है, लेकिन यह आदेश बेअसर दिख रहा है.
बेतिया शहर में है 40 से 50 गाड़ी : झाझा मेल व जुगाड़ तकनीक की यह गाड़ी की इन दिनों शहर में काफी तादाद में दिख रही है. मीना बाजार, छोटा रमना में जहां पूरे दिन झाझा मेल सामानों की ढुलाई में लगे रहते हैं. वहीं छोटे जुगाड़ वाली गाड़ी ने ठेला का धंधा चौपट कर रखा है. परिवहन सूत्रों के मुताबिक, बेतिया शहर में अकेले करीब 40 से 50 की संख्या में यह गाड़ी चल रही हैं.
परिवहन का मामला नहीं : डीटीओ
डीएम की चिट्ठी मिली है. पर, झाझा मेल व जुगाड़ की इन गाड़ियों पर किसी तरह के जुर्माने का कोइ भी प्रावधान मोटर-वाहन अधिनियम में नहीं है. यह एक तरह से ठेला है. परिवहन विभाग का यह मामला नहीं है. पुलिस को इन गाड़ियों को जब्त करनी चाहिए. पुलिस इसपर कार्रवाई करें.,
दिलीप अग्रवाल, जिला परिवहन पदाधिकारी
इनके परिचालन के साइड इफैक्ट
सड़क हादसों के लिए संवेदनशील
झाझा मेल व जुगाड़ तकनीक की यह गाड़ी सड़क हादसे के लिए संवेदनशील होते हैं. चूंकि इन गाड़ियों में मोटर पार्ट के स्पेयर मसलन सॉकर, चेसिस, पावर ब्रेक इत्यादि नहीं होते हैं. लिहाज टर्न पर इनके पलटने की संभावना अधिक होती है. कइ बार यह जानलेवा हादसे का सबब बन जाता है.
पर्यावरण के लिए खतरा
यह गाड़ी पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है. पंपसेट की इंजन से चलने वाली इस गाड़ी की तेज आवाज से जहां ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है, वहीं इससे निकलने वाला धुंआ पर्यावरण प्रदूषित कर रहा है. लेकिन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व वन विभाग की ओर से भी इसपर कोई कार्रवाई नहीं होती है.

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