नौ साल बाद तोड़े गये पुरानी अलमारियों के ताले, मिले कई अहम कागजात
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10 से 15 एकड़ का दस्तावेज नहीं
नौ साल बाद तोड़े गये पुरानी अलमारियों के ताले, मिले कई अहम कागजात बेतिया : माननीय उच्च न्यायालय ने जब सख्ती दिखायी है, तो नगर परिषद प्रशासन पुराने कागजातों को खोजना शुरू कर दिया है. अब नप प्रशासन वर्षों से अलमारियों में बंद अभिलेखों को खोजना शुरू कर दिया है. इन अलमारियों का जब ताला […]
बेतिया : माननीय उच्च न्यायालय ने जब सख्ती दिखायी है, तो नगर परिषद प्रशासन पुराने कागजातों को खोजना शुरू कर दिया है. अब नप प्रशासन वर्षों से अलमारियों में बंद अभिलेखों को खोजना शुरू कर दिया है.
इन अलमारियों का जब ताला तोड़ा गया,तो दर्जन भर अभिलेख तो मिला हीं है. नगर परिषद के विकास में मुख्य भूमिका निभाने वाले कई पुराने फाइलें भी मिली है. हालांकि अलमारियों का ताला नगर परिषद के जमीन के दस्तावेजों को खोजने के लिए तोड़ा गया है. लेकिन अभी भी करीब 10 से 15 एकड़ जमीनों का दास्तवेज नहीं मिल पाया है. दस्तावेजों के नहीं मिलने से इन जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा किये कब्जाधारी अपना दावा पेश कर रहे हैं. जबकि कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए नप से उक्त जमीनों का दस्तावेज या सबूत पेश करने का आदेश दिया है.
ये दाेनों नहीं पेश करने पर एकतरफा फैसला देने की भी बात कोर्ट ने कही है. ऐसी स्थिति में नगर परिषद प्रशासन हर हाल में इन दस्तावेजों को खोजने में जुट गया है
नौ साल पहले दी थी अलमारियों की चाबी : नगर परिषद के पूर्व प्रधान सहायक सह लेखापाल शैलेन्द्र जॉन डिक्रूज ने वर्ष 2008 में अलमीरायों में बंद तालों की चाबी दी थी. लेकिन चाबी खो गया. उसके बाद 9 साल बाद इन अलमारियों को तोड़ा गया,तो कई जरूरी अभिलेख मिला.
जमीन के दर्जन भर कागजात गायब है,
कागजातों की खोज के लिए ताला तोड़ा गया है. यहां बता दें कि पूर्व प्रधान सहायक की मौत के बाद सेवांत लाभ पाने के लिए उनकी पत्नी पूनम फ्रांसिस ने वर्ष 2010 में हाइकोर्ट में वाद दायर की थी. हाई कोर्ट के निर्देश पर जुलाई 2012 में नगर परिषद प्रशासन की ओर से पूर्व प्रधान सहायक की पत्नी को दो लाख पांच हजार 822 रुपया भुगतान किया गया था.
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