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आइआरएल के लिए बोझ साबित हुई न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी

मुसाबनी : सुरदा खदान व मुसाबनी प्लांट के संचालन से आइआरएल के हाथ खींचने के पीछे श्रम मंत्रालय द्वारा 19 जनवरी 17 को न्यूनतम मजदूरी की बढ़ोतरी को बड़ी वजह माना जा रहा है. यह बढ़ोतरी आइआरएल के लिए बोझ साबित हुई. मजदूर न्यूनतम मजदूरी की मांग करने लगे. हड़ताल तथा आंदोलन होने लगे. आइआरएल […]

मुसाबनी : सुरदा खदान व मुसाबनी प्लांट के संचालन से आइआरएल के हाथ खींचने के पीछे श्रम मंत्रालय द्वारा 19 जनवरी 17 को न्यूनतम मजदूरी की बढ़ोतरी को बड़ी वजह माना जा रहा है.
यह बढ़ोतरी आइआरएल के लिए बोझ साबित हुई. मजदूर न्यूनतम मजदूरी की मांग करने लगे. हड़ताल तथा आंदोलन होने लगे. आइआरएल बढ़ी हुई मजदूरी भुगतान के लिए तैयार नहीं थी. एचसीएल प्रबंधन बढ़ी हुई मजदूरी का बकाया भुगतान को आगे आया लेकिन उक्त भुगतान उसने आइआरएल को अग्रिम के रूप में किया. इससे प्लांट में उत्पादन सामग्री की आपूर्ति प्रभावित हुई. अयस्क परिवहन भी भुगतान नहीं होने से ठप हो गया. आइआरएल का एमआइसी उत्पादन घट गया.
पहले भी हुआ था बंद : ग्लोबल टेंडर का वर्क ऑर्डर 14 अप्रैल 2007 को मोनार्क गोल्ड ऑस्ट्रेलिया को मिला था. मोनार्क गोल्ड ने सब कॉन्ट्रैक्टर आइआरएल को सुरदा खदान व मुसाबनी प्लांट के संचालन की जिम्मेवारी दी थी. आगे चलकर मोनार्क गोल्ड, स्वॉन गोल्ड फिल्ड लिमिटेड और ईस्टर्न गोल्ड फिल्ड लिमिटेड के नाम से जाना जाने लगा. 16 जून 2003 को एचसीएल ने श्रम मंत्रालय से क्लोजर के बाद सुरदा खदान को बंद कर दिया था. 2007 में खदान व प्लांट फिर से खुलने से क्षेत्र में करीब 15 सौ लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला था.
नयी कंपनी आने का मार्ग प्रशस्त होगा : झारखंड कॉपर माइंस वर्कर यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष शमशेर खान ने आइआरएल के निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इससे आने वाले दिनों में नयी कंपनी आने का मार्ग प्रशस्त होगा. उन्होंने मजदूरों से धैर्य बनाये रखने की अपील की है तथा कहा है कि क्षेत्र की भलाई के लिए उन्हें समझदारी और धैर्य से काम लेना होगा. पुरानी कंपनी के जाने और नयी कंपनी के आने से समय थोड़ा उथल-पुथल और परेशानी होती है. सभी की समझदारी से उक्त परेशानी का हल जल्द निकलेगा. मजदूरों के पीएफ और ग्रेच्युटी का भुगतान मुख्य नियोक्ता एचसीएल करेगा. इसके लिए सही समय पर बात की जायेगी.

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