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नोटबंदी सराहनीय, पर बैंकों की व्यवस्था ठीक नहीं

अरेराज : प्रखंड के बहादुरपुर पंचायत में प्रभात खबर द्वारा रविवार को चौपाल का आयोजन किया गया. चौपाल में किसान, मरीज, शादी-ब्याह वाले परिवार, नौकरी पेशा व व्यवसायी शामिल हुए. उपस्थित सभी वर्ग के लोगों ने केंद्र के मोदी सरकार के इस कदम की सराहना की, लेकिन बैंक में रुपया बदलने, जमा करने व निकासी […]

अरेराज : प्रखंड के बहादुरपुर पंचायत में प्रभात खबर द्वारा रविवार को चौपाल का आयोजन किया गया. चौपाल में किसान, मरीज, शादी-ब्याह वाले परिवार, नौकरी पेशा व व्यवसायी शामिल हुए. उपस्थित सभी वर्ग के लोगों ने केंद्र के मोदी सरकार के इस कदम की सराहना की, लेकिन बैंक में रुपया बदलने,

जमा करने व निकासी में हो रही कठिनाई पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये. चौपाल में किसान लाल बच्चा मिश्रा ने बताया कि खेती का समय होने के बाद भी सरकार द्वारा 500 व 1000 के नोट बंद होने के कारण तैयार फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है. साथ ही खाद-बीज के लिए पीएनबी बैंक में पांच दिन सुबह से शाम तक कतार में लगे, जिससे खेती भी पीछे हो गया. साथ ही बैंक से रुपया भी नहीं निकला, जिससे परेशानी बढ. गई है. वही मनोज मुखिया ने बताया कि पुराने रुपया बदलने के लिए तीन दिन कतार में लगा रहा, लेकिन रुपया तो नहीं बदला गया, तबीयत जरूर खराब हो गया.

इलाज के लिए शुक्रवार को दिन भर एक चिकित्सक के निजी क्लिनिक पर 500 रुपया का नोट लेकर इलाज के लिए गया, लेकिन न रुपया दवा दुकानदार लिये न हीं डाक्टर साहब द्वारा फीस लिया गया. बाद में हार कर सरकारी अस्पताल में जाकर दवा ली़ सरकार का कदम तो अच्छा है लेकिन तैयारी व कारगर व्यवस्था करनी चाहिए थी. विनोद मुखिया ने बताया कि 21 नवंबर को घर में बहन की शादी है. मजदूरी कर कुछ रुपया जमा किया था.साथ ही कुछ महाजन से लेकर शादी में खर्च करने का सोचे थे.लेकिन नोट बंदी के कारण महाजन तो हाथ खडे कर ही लिए. वही हम शादी की तैयारी करे की नोट बदले, इससे बहुत परेशानी हुई है. सरकार का कदम तो अच्छा है, लेकिन लग्न के कारण परेशानी ज्यादा हो रही है. किराना दुकानदार नन्दलाल चौरसिया ने बताया कि गाव के दुकान में नोट बंदी का असर अधिक पडा है. ग्रामीणों से जुडी दुकान है. नया नोट नही होने के कारण बिक्री तो आधा हो गई है. साथ ही जो पूंजी थी वह भी उधार में चला गया है. शिक्षक जयप्रकाश सिंह ने बताया कि नोट बंदी के कारण बैंक में हो रही भीड़ के कारण बैंक से निकासी नही होने से बच्चे की स्कूल फीस भी नहीं जमा हो सकी, जिससे फाईन देना पड़ेगा. वही स्कूल में एमडीएम बनाने में भी परेशानी हो रही है.

मजदूर राजेन्द्र ने बताया कि रोज मजदूरी कर परिवार का खर्च चलता था.लेकिन जबसे नोटबंदी लागू हुआ, उसके बाद से कही काम ही नहीं मिल रहा है. क्योंकि काम कराने के बाद मजदूरी के लिए रुपया ही नहीं है. दस दिन में मात्र दो दिन ही काम मिला है, जिससे अपना काम चला रहा हूं़

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