19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

थाने के मालखाने में ”सड़” रहा करोड़ों का सामान

समस्या. आसमान तले रखे गये सामान पुलिस कर्मियों के लिए आफत शहर के विभिन्न थानों के मालखानों में करोड़ों का सामान सड़ रहा है. इससे जहां सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा हैं, वहीं यह पुलिस कर्मियों के लिए आफत बनी हुई है. हाल यह है कि एक ही पदाधिकारी के पास वर्षों से […]

समस्या. आसमान तले रखे गये सामान पुलिस कर्मियों के लिए आफत

शहर के विभिन्न थानों के मालखानों में करोड़ों का सामान सड़ रहा है. इससे जहां सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा हैं, वहीं यह पुलिस कर्मियों के लिए आफत बनी हुई है. हाल यह है कि एक ही पदाधिकारी के पास वर्षों से मालखाने का प्रभार है, उनसे कोई अन्य प्रभार लेना नहीं चाहता.
मोतिहारी : थाना के मालखाना में करोड़ों का सामान सड़ रहा है. जगह के अभाव में छोटी-बड़ी सैकड़ों गाड़ियों को जंग खा रही है तो मालखाना में बंद कई सामान सड़ चुके हैं. यह लापरवाही नहीं तो और क्या है. वर्षों पुराने जब्त कई ऐसे समान है जो सड़-गल चुके हैं. कुछ सामान का स्वरूप बदल चुका है. इसके कारण मालखाना का प्रभार लेने व देने में पेंच फंसता है. यही कारण है कि थाना का कोई भी पदाधिकारी मालखाना का प्रभार लेने से कतराता है.
कई ऐसे भी पदाधिकारी हैं, जिनका स्थानांतरण हो चुका है, लेकिन उनसे प्रभार लेने वाला कोई नहीं. ताजा मामला नगर थाना के मालखाना का है. तीन साल के मालखाना का प्रभार दारोगा केडी यादव के पास है. फिलहाल श्री यादव रिटायर कर चुके हैं. मालखाना का प्रभार देने के लिए तीन वर्षों से थाना का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनसे प्रभार नहीं लिया जा रहा. मालखाना का प्रभारी रहने के कारण उनका पेंशन भी बंद है.
उन्होंने एसपी से लेकर डीजीपी तक शिकायत की. आत्मदाह तक की चेतावनी दी, लेकिन उनकी शिकायत व चेतावनी पर कोई सुनवायी नहीं हुई. एक पुलिस पदाधिकारी बताते हैं, जगह के अभाव में कई प्रदर्शों को थाना परिसर में खुले आसमान के नीचे रखा जाता है. वैसे प्रदर्शों की सुरक्षा का कोई ठोस इंतजाम नहीं रहता.
मालखाना प्रभारी के नौकरी पर हमेशा तलवार लटका रहता है. एक भी सामान उधर से उधर हुआ तो नौकरी पर आफत आनी तय है. उन्होंने कहा, पुलिस अगर चाहे तो इस समस्या का समाधान कर सकती है, लेकिन सवाल यह है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे. तमाम कानूनी प्रक्रिया पुरी कर अगर सामान की नीलामी कर दी जाये तो सरकार को एक जिला से कम से कम दो से तीन करोड़ राजस्व मिल सकता है, लेकिन नीलामी की कार्रवाई के लिए कोई भी पदाधिकारी आगे नहीं बढ़ता है.
क्या है नीलामी नियम : नियम कहता है, अगर लावारिस सामान को जब्त हुए छह महीना हो गया और कोई दावेदार सामने नहीं आया तो थानाध्यक्ष संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी से आदेश लेकर जब्त सामान की नीलामी करा सकते हैं. वहीं, कुर्की की कार्रवाई में जब्त किये गये सामान को अगर संबंधित व्यक्ति छह महीना के अंदर नहीं ले जाता तो थानाध्यक्ष कोर्ट से आदेश लेकर सामान नीलाम कर सकते हैं. वहीं, किसी केस के प्रदर्श को न्यायालय से
एक्टीवीट आर्डर लेकर नीलाम किया जा सकता है. बसरते प्रदर्श की कार्रवाई हो चुकी हो तो.
कई थानों में नहीं है मालखाना: जिले के कई थानों में मालखाना नहीं है. रामगढ़वा, कल्याणपुर, जीतना, राजेपुर, पचपकड़ी सहित अन्य थानों में मालखाना की सुविधा नहीं रहने के कारण जब्त सामान थाना परिसर में खुले आसमान के नीचे रखा जाता है. छोटी-बड़ी गाड़ियां तो परिसर में रखी जा सकती है, लेकिन आभूषण, अवैध हथियार, पेटी बक्सा व विस्फोटक सामान भगवान भरोसे ही रहता है. मालखाना के अभाव में आभूषण पुलिसकर्मियों के आलमीरा का शोभा बढ़ाती है, जबकि जब्त नकद राशि मालखाना प्रभारी के बैंक खाता में जमा रहती है.
नीलामी की होती कार्रवाई तो सरकार को मिलता राजस्व
एक भी सामान हुआ इधर से उधर तो नौकरी पर आफत
मालखाना में पेच, प्रभार लेने से कतराते हैं पदाधिकारी
स्थानांतरण के बाद भी कई के पास है मालखाना का प्रभार
क्या कहते हैं अधिकारी
नीलामी की प्रक्रिया में काफी पेच है. इसके कारण थानाध्यक्ष नीलामी की प्रक्रिया पूरी नहीं करते. नीलामी के लिए सभी थानाध्यक्षों को विभागीय प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया गया है. प्रक्रिया पूरी होते ही जब्त सामान को नीलाम किया जायेगा.
जितेंद्र राणा, एसपी, मोतिहारी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें