मोतिहारी : न्यायालय परिसर की सुरक्षा पर अपराधियों ने एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. एक सप्ताह के अंदर मुजफ्फरपुर व छपरा के न्यायालय परिसर में अपराधियों ने गोलीबारी व बम विस्फोट की घटना को अंजाम दिया है. इससे साफ हो गया है कि न्यायालय परिसर भी अब सुरक्षित नहीं रहा.
सोमवार की सुबह छपरा न्यायालय परिसर में बम विस्फोट के बाद मोतिहारी न्यायालय परिसर की सुरक्षा तो बढ़ा दी गयी, लेकिन जब सुरक्षा व्यवस्था का मुआयना किया गया तो कई प्वाइंट पर लापरवाही दिखी. न्यायालय परिसर में पांच इंट्री प्वाइंट हैं, जबकि सिर्फ मुख्य गेट पर ही हैंड मेटल डिटेक्टर के साथ चार जवान तैनात दिखे. बाकी जगहों पर बिना जांच-पड़ताल लोगों का आना-जाना लगा था.
हैंड मेटल डिटेक्टर के साथ न्यायालय परिसर में तैनात जवान बम निरोधक की उड़न दस्ता टीम है. इनकी ड्यूटी न्यायिक कार्य अवधि तक ही है. इसके अलावे चार-एक के सशस्त्र बल के साथ चार होमगार्ड जवानों की ड्यूटी लगी है. न्यायालय परिसर में इनकी ड्यूटी 24 घंटे की है. न्यायालय परिसर की जो वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था है,
यह महज एक खानापूर्ति है. छपरा में जिस तरह एक महिला ने बम लेकर न्यायालय परिसर में प्रवेश कर ब्लास्ट किया. अगर यहां भी कोई महिला इस तरह की वारदात को अंजाम देने की ठान ले तो उसके लिए आसान होगा, क्योंकि संदिग्ध महिलाओं की जांच-पड़ताल के लिए न्यायालय परिसर में एक भी महिला आरक्षी की तैनाती नहीं है. ऐसे में न्यायालय परिसर की वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था मौजूदा हालात के अनुसार चुस्त-दुरुस्त नहीं है.
बम से उड़ाने की मिल चुकी है धमकी
मोतिहारी न्यायालय परिसर पहले से ही संवेदनशील है. न्यायालय परिसर को बम से दहलाने की तीन बार धमकी मिल चुकी है. तीनों बार वकालतखाना में गुमनाम पत्र भेज अपराधियों ने दहशतगर्दी मचाने की धमकी दिया है. बावजूद सुरक्षा को चुस्त दुरुस्त नहीं करना अपने आप में बड़ा सवाल है.
सुरक्षा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पेशी के लिए आने वाले कई कुख्यात बंदी पुलिसकर्मी पर हमला कर फरार हो चुके है. पिछले साल कोर्ट बिल्डिंग में एक सिपाही को घायल कर अपराधियों ने उसका हाथ-पैर बांध दिया, उसके बाद मुंह में कपड़ा ठुस फरार हो गये. कुख्यात राजन सहनी भी पुलिसकर्मी को घायल कर फरार हुआ था.
न्यायालय की गतिविधि पर एक नजर
1500 अधिवक्ता रोजाना न्यायालय आते है.
37 न्यायिक अधिकारी न्यायालय में रहते है मौजूद
12000 लोग न्यायिक कार्य से आते है रोजाना
क्या कहते हैं वरीय अधिवक्ता
विधिक संघ के पूर्व जिला सचिव सह वरीय अधिवक्ता राजीव कुमार द्विवेदी ने न्यायालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को महज खानापूर्ति बताया. कहा कि जब सचिव थे तो तीन बार गुमनाम पत्र भेज कोर्ट परिसर में बम विस्फोट की धमकी मिली थी. बावजूद जितनी सुरक्षा होनी चाहिए, उतनी नहीं की गयी. मौजूदा हालात में काफी भी कोई अप्रिय घटना हो सकता है.
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
छपरा की घटना के बाद न्यायालय परिसर में तैनात सुरक्षाकर्मियों को अलर्ट कर दिया गया है. परिसर में प्रवेश करने वाले संदिग्ध लोगों की जांच-पड़ताल का निर्देश दिया गया है. खास कर झोला व बैग लेकर न्यायालय परिसर में आने वाले की नियमित जांच-पड़ताल की जा रही है. बम निरोध के उड़न दस्ता टीम मेटल डिटेक्टर के साथ सुरक्षा का कमान संभाले हुए है.
पंकज कुमार रावत, सदर डीएसपी