प्रवेश द्वार के पेंच में फंसा सत्याग्रह पार्क
सत्याग्रह पार्क शहरवासियों के लिए सत्याग्रह शताब्दी वर्ष में खोल दिया जायेगा. पार्क निर्माण की 90 प्रतिशत कार्य पुरा हो चुका है. मुख्य गेट निर्माण के लिए जिप प्रशासन एवं नप के बीच जमीन के पेंच में फंसा है. प्रशासन को इसके लिए शीघ्र ही पहल करनी होगी.
मोतिहारी : सत्याग्रह शताब्दी वर्ष में सत्याग्रह पार्क शहरवासियों के हवाले होगा. शताब्दी वर्ष में पार्क को शहरवासियों के लिए खोल दिया जायेगा. शहर के ज्ञानबाबू चौक से सटे गांधी नगर मोहल्ला में बन रहे पार्क का निर्माण पूरा होने के कगार पर है. शताब्दी वर्ष 2017 के पूर्व शेष निर्माण पूर्ण करने की तैयारी चल रही है.
नगर परिषद ने संबंधित कार्य एजेंसी को शीघ्र ही निर्माण पूरा कर पार्क हैंडओवर करने का निर्देश दिया है. बताया जाता है कि पार्क निर्माण के 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है. शेष कार्य में पार्क का मेन रोड से प्रस्तावित मुख्य द्वार का निर्माण बाकी है. मामला जिला परिषद एवं नगरपालिका के बीच जमीनी पेंच में फंसा है. जबकि मोहल्ला से सटे पार्क के लिए बनने वाले दूसरे गेट का निर्माण लगभग पुरा होने को है. वहीं, मेन गेट का निर्माण को लेकर किये गये पहल पर कार्रवाई में जिला प्रशासन भी उदासीन बनी हुई है. अगर समय रहते प्रस्तावित मुख्य प्रवेश द्वार के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करायी गयी तो शताब्दी वर्ष के मौके पर होने वाले शुभारंभ तक पार्क पूर्ण रूप से तैयार नहीं हो पायेगा.
अधूरा रह जायेगा उद्देश्य: प्रस्तावित मेन रोड से सटे पार्क के प्रवेश द्वार निर्माण को जिप प्रशासन जमीन उपलब्ध नहीं कराती है और प्रस्तावित गेट का निर्माण नहीं हुआ तो पार्क का उद्देश्य अधूरा ही रह जायेगा. दूसरा गेट मोहल्ला की सड़क से जुड़ा है. ऐसे में पार्क आनेजाने वाले लोगों को काफी दूरी तय करनी होगी, वही पार्किंग को लेकर भी कोई सुविधा नहीं होगी.
प्राक्कलन में है मुख्य द्वार का प्रावधान : पार्क के लिए ज्ञानबाबू चौक से जानपुल को जाने वाली मुख्य सड़क से सटे मुख्य द्वार बनाने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए प्राक्लन में राशि भी उपलब्ध करायी गयी है. खासकर मुख्य गेट को आर्कषक लुक में बनाने की प्लानिंग की गयी है.
निर्माण पर हो रहा सवा दो करोड़ रुपये खर्च : सत्याग्रह पार्क का निर्माण शहर के लिए अनोखी पहल है. एक तो इस पार्क का वजूद नाम के कारण पुराने सत्याग्रह आंदोलन से जूरा है. जबकि दूसरे मायने में क्षमता एवं सुंदरता के ख्याल से भी यह पार्क शहर के अन्य पार्क से अलग है. इसके निर्माण पर करीब सवा दो करोड़ रुपये खर्च किये गये है.