मोतिहारी : अपने कारनामों के लिए चर्चित चिरैया प्रखंड में अभिकर्ता के बगैर हस्ताक्षर और पंजी में बगैर योजना के अग्रिम भुगतान का मामला सुर्खियों में है़
पूर्व डीडीसी के जांच में रोकड़ पंजी संधारण और योजना में एक करोड़ 34 लाख 74 हजार की गड़बड़ी उजागर हो चुका है़ लेकिन दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं. प्राथमिकी की खानापूर्त्ति जरूर हुई और 15 सितंबर 15 को डीएम के आदेश से शून्य बैलेंश पर पंजी (नयी) का संधारण कर उर्दू अनुवादक सह नाजीर अंसारूल हक से अभिषेक गिरि को 18 सितंबर को प्रभार दिया गया़
यही नहीं चिरैया प्रखंड में ही वर्ष 2010 में 69 लाख 89 हजार का जांच में कोई लेखा-जोखा नहीं मिला़ तो उस समय भी शून्य बैलेंस पर पंजी संधारण कर परवेज आलम व अंसारूल हक में नाजीर पद का प्रभार हुआ था़ जबकि पताही में गबन पारित न होने पर एक कर्मी को 2012 में निलंबित किया गया़ वहीं चकिया में 43 लाख के गबन के आरोपी सुनिल कुमार सिन्हा को बर्खाश्त किया गया, जबकि मामले में शामिल तत्कालीन अधिकारी को प्रोन्नति मिलती रही़
ऐसे में सवाल उठता है कि चिरैया में वर्ष 2010 में बगैर लेखा-जोखा के 70 लाख रूपये मामले का क्या हुआ? राशि कहां है और किस पर कारवाई हुई?
एक करोड़ 34 लाख मामले में डीएम के निर्देश के बाद भी लेखा अधिकारी की टीम अब तक जांच नहीं कर सकी है और बनकटवा स्थानांतरण के बाद भी संबंधित नाजीर प्रभार देने के नाम पर चिरैया में जमे हुए बताये जाते है़
पताही प्रखंड में है 80 लाख का गबन
पताही प्रखंड में भी लेखा संधारण व अन्य मामले में करीब 80 लाख का गबन हो चुका है.
मामला वर्ष 2012 का है़ नाजीर मनिंद्र से प्रभार नहीं लेने पर अभिषेक गिरि को निलंबित किया गया था़ वहां भी शून्य से लेखा संधारण की गयी और मनिंद्र का स्थानांतरण बेतिया कर दिया गया़