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आने के साथ मरीजों को किया जाता है रेफर

रक्सौल : सुशासन की सरकार चाहे कितने भी दावे कर ले कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो गया है. लेकिन पीएचसी में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं. पीएचसी में बुलाने के लिए कई नि:शुल्क जांच व मामूली जांच शुल्क के साथ जांच व […]

रक्सौल : सुशासन की सरकार चाहे कितने भी दावे कर ले कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो गया है. लेकिन पीएचसी में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं. पीएचसी में बुलाने के लिए कई नि:शुल्क जांच व मामूली जांच शुल्क के साथ जांच व अन्य सुविधाएं और मुफ्त दवाइयां मिलने के बाद भी शहर के लोगों का खासा रुझान पीएचसी की ओर नहीं दिख रहा है.
अगर पिछले एक सप्ताह के आंकड़ों पर गौर करे तो औसतन 200 मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं.मगर हैरानी की बात यह है कि शहर में पीएचसी होने के बावजूद इसमें अधिक संख्या ग्रामीण इलाकों से आने वाले लोगों की होती है. शहरी मरीज सरकारी अस्पताल के बजाय निजी चिकित्सकों व नर्सिग होम में इलाज कराना बेहतर समझते हैं. गौरतलब है कि प्रखंड की आबादी 2 लाख 52 हजार 280 है, जिनमें ग्रामीण क्षेत्र की आबादी 1 लाख 92 हजार 437 है. जबकि शहरी आबादी 59 हजार 843 है. जनसंख्या के मुताबिक पीएचसी में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में लगभग 77 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों से आते हैं.
जबकि 23 प्रतिशत ही शहरी लोग पीएचसी में इलाज कराते हैं. शहर की लगभग 77 प्रतिशत आबादी पीएचसी में इलाज नहीं कराना चाहती है. ऐसे में सरकार द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों पर तमाम सुविधाओं को बहाल करने का दावा खोखला नजर आता है.
क्यों नहीं आते शहरी
अनुमंडल का दर्जा प्राप्त हुए रक्सौल को लगभग दो दशक बीत चुके हैं. लेकिन आज भी यहां पीएचसी में ही लोगों का इलाज होता है. पीएचसी का हाल यह है कि गंभीर हालात में आये मरीजों को देखते ही रेफर कर दिया जाता है. चिकित्सक, महिला चिकित्सक, आधुनिक उपकरण सहित अन्य चीजों का पीएचसी में घोर अभाव है. इसके साथ-साथ थायराइड जैसी अन्य बड़ी बीमारियों की जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है. वहीं पीएचसी में दवा की कमी व गंदगी भी शहर के लोगों को पीएचसी आने से रोकती है.
पीएचसी में संसाधन
रक्सौल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों के कुल 18 पद हैं, जिसमें केवल 11 चिकित्सक की ही प्रतिनियुक्ति रक्सौल में की गयी है. इसके साथ-साथ एनएम की संख्या में भारी कमी है.
पीएचसी रक्सौल के लिए 89 एनएम की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में केवल 26 एएनएम ही कार्यरत हैं. वहीं पीएचसी की ओपीडी में 42 दवाओं की जगह 28 प्रकार की दवाएं भी उपलब्ध हैं.साथ ही नि:शुल्क जांच के तौर पर अल्ट्रासांउड, एक्स-रे, एचआइवी जांच, कालाजार, मलेरिया, बलगम, हेमोग्लोबिन आदि की जांच सुविधा उपलब्ध है. साथ ही टेलिमेडिसन केंद्र पर कम शुल्क के साथ वाइटल सिंग, बल्ड सुगर, यूरिन टेस्ट, प्रेगनेंसी टेस्ट, हेपेटाइटिस टेस्ट, हेमोग्लोबिन, मलेरिया, इसीजी, इएसआर, पीएफआरइ, एएनटी, स्लि इमेज, डिजिटल स्टेस्कोप, डिजिटल एक्स-रे आदि की सुविधा उपलब्ध है.
जरूरतों पर एक नजर
रक्सौल में सरकारी स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए शहर के लोगों की प्रमुख जरूरत एक अनुमंडलीय अस्पताल की है.
ताकि लोगों को बार-बार रेफर होने की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े. इसके बाद महिला चिकित्सक व कुछ अन्य जांच की सुविधा अगर सरकार द्वारा मुहैया करा दी जाये तो आने वाले दिन में हालात बदल सकते हैं और लोग निजी क्लिनिक के बजाय सरकारी स्तर पर ही इलाज कराना बेहतर समङोंगे.

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