चार्जशीट व अनुसंधान शैली में लाएं बदलाव
फरार अपराधियों को माद से बाहर निकालें
अपराधियों के खिलाफ चलाएं स्पीडी ट्रायल
कई बिंदुओं पर अधिकारियों को दिया गया सुझाव
मोतिहारी : बिहार अपर पुलिस महानिदेशक अपराध अनुसंधान विभाग विनय कुमार ने पुलिस अधिकारियों को अपने अनुसंधान शैली में बदलाव लाने की नसीहत देते हुए कहा कि आवेदक के आवेदन पर नहीं बल्कि घटनास्थल पर पहुंच बिंदुवार अनुसंधान करें. पता करें कि अपराधी कौन था. किसी गाड़ी से था या पैदल था.
यहां के अधिकारियों द्वारा चार्जशीट को कमजोर बताते हुए नसीहत दी कि चार्जशीट समर्पित करना बड़ी उपलब्धी नहीं है बल्कि केस का पूर्ण अनुसंधान होता है. उपलब्धि या घटना के चार माह बाद तक अनुसंधान न करना गंभीर सवाल है. वे गुरुवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एसपी, एएसपी व अनुमंडल पुलिस अधिकारियों के साथ अपराध अनुसंधान व अपराधियों तक पहुंचने को ले तरकीब बता रहे थे. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगर किसी घटना में एक अपराधी पकड़ा जाता है तो उसे उपलब्धि न माने, उसमें फरार चल रहे अपराधियों के गिरफ्तारी के लिए डीएसपी स्वयं आस-पास के थानों के साथ छापेमारी करें.
डुमरियाघाट व कोटवा सहित अन्य थानों में शराब व स्प्रिट जब्ती को उपलब्धि बताया लेकिन कहा कि जिस वाहन पर शराब या स्प्रिट पकड़े जा रहे हैं, उसका इंजन व चेसिस नंबर लेकर वाहन मालिक के घर तक पहुंचे. मामले का जड़ से उद्भेदन हो जायेगा. इसी तरीके से बिहार पुलिस ने पंजाब, मध्यप्रदेश, हरियाणा तक के तस्करों को पकड़ सलाखों के भीतर किया है. अनुसंधान समीक्षा के दौरान अधिकारियों को फटकार लगायी और कहा कि जब गाड़ी जप्त हुआ तो चालक व खलासी अब तक फरार कैसे है.
इसे अधिकारी अमली जामा पहनाये. शराब के लिंक को ध्वस्त करें. अगर होम डिलेवरी होता है तो थोक भंडार कहा है वहां पहुंचे. मौके पर एसपी अशोक कुमार सिंह, एएसपी शैशव यादव, डीएसपी शैलेंद्र कुमार, दिनेश कुमार पांडेय, मुरली मनोहर मांझी, संजय कुमार झा, ज्योति प्रकाश, आलोक कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.