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शाही लीची में स्टिंक बग कीट का खतरा

मोतिहारी : शाही लीची के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित सबसे बड़े लीची परिक्षेत्र मेहसी व मधुबन में लीची फसल पर लाल रंग के किट का लार्वा देख किसानों के होश उड़ गये हैं. लीची के डंठलों में छोटे-छोटे दाना निकल रहें हैं. अभी से ही किट का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. इसे […]

मोतिहारी : शाही लीची के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित सबसे बड़े लीची परिक्षेत्र मेहसी व मधुबन में लीची फसल पर लाल रंग के किट का लार्वा देख किसानों के होश उड़ गये हैं.

लीची के डंठलों में छोटे-छोटे दाना निकल रहें हैं. अभी से ही किट का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. इसे कृषि के भाषा में स्टिंक बग कहा जाता है. दो वर्ष पूर्व यह झारखंड के कुसुम की खेती में देखा गया था. कृषि विभाग या लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा अभी तक बचाव के कोई उपाय नहीं किये गये हैं.

लीची के खेती करनेवाले संजय कुमार, साहिद रजा, नफीसुर्रहमान आदि ने कहा कि इसका प्रकोप अभी मिर्जापुर, हरपुर, उझीलपुर, दामोदरपुर, कसवा गोपाल, इब्राहिमपुर व मधुबन के कुछ इलाकों में बढ़ रहा है. पिछले वर्ष भी इस कीट से लीची को भारी क्षति हुई थी. मेहसी परिक्षेत्र को इस हालत से बचना किसानों के बस की बात नहीं है. किसानों ने जनहित में कीट रोधक दवा छिड़काव की मांग जिला प्रशासन व सरकार से की है.

अगर समय रहते दवा का छिड़काव नहीं हुआ तो किसानों के समक्ष रोजगार के लाले पड़ जायेंगे. मेहसी की लीची दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों के अलावा विदेशों में भी भेजी जाती है. मेहसी व मधुबन के किसान लीची आमदनी से शादी-विवाह, पढ़ाई-लिखाई सहित सभी बड़े काम करते हैं.

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