मोतिहारी : मोतिहारी-पकड़ीदयाल सड़क भंग होने का खामीयाजा राहगीरों को बाढ़ के बाद भी भुगतना पड़ रहा है. सदर प्रखंड के मधुबनी घाट पीएचसी समीप सड़क क्षतिग्रस्त होने से नाविकों की चांदी कट रही है. पीएचसी के समीप करीब डेढ़ सौ मीटर सड़क गढ्ढे में तब्दील हो गयी है. टूटी सड़क नदी की धार बन गयी है.
आसपास के ईलाकों में जमा बाढ़ के पानी का अब भी तेज गति से बहाव जारी है. ऐसे में राहगीर के आवागमन के लिए नाव ही मात्र एक सहारा है. कहने को तो यहां प्रशासनिक स्तर पर राहगीरों की सहायता के लिए नाव चल रहे है. लेकिन इसका लाभ राहगीरों को नहीं मिला रहा. नाव सरकारी होने के बाद भी राहगीरों को पैसे देकर घाट उतरना पड़ रहा है. शुक्रवार को प्रभात खबर पड़ताल में यह बात सामने आयी कि प्रशासनिक स्तर पर राहगीरों के सहयोग को चलायी जा रही नाव का लोगों को लाभ नहीं मिल रहा. ऐसे तो घाट पर आधें दर्जन से ज्यादा नाव चल रहे थे. जो व्यवसायिक तौर पर किराया वसूल लोगों को इधर से उधर पार करा रहे है.
ऐसे में इनमें सरकारी नाव का पहचान करना काफी कठिन है. लेकिन मौके ए वरदात पर शुक्रवार को एक भी सरकारी नाव नजर नही आयी. वहां चल रहे सभी नाव किराया वसूल लोगों को पार उतार रहे थे. ऐसे में मोतिहारी से पकड़ीदयाल जा रहे ढेकहा निवासी बाईक सवार अशोक गिरी को बाईक सहित पार उतरने के लिए नाविक ने पहले तो एक सौ रूपये की डिमांड की. फिर तोलमोल करने पर 80 रुपये लेकर पार उतारने को राजी हुआ.वही पकड़ीदयाल जा रहे उमेश प्रसाद,पप्पू जायसवाल एवं रंभु कुमार को पार जाने के लिए नाविक को 20 रूपये किराया देना पड़ा. इसबीच सफेद कुर्त्ता-पैजामा पहने एक नेता जी वहां पहुंचे. पहले तो उन्होंने पार उतरने के लिए सरकारी नाव की जानकारी लेनी चाही. लेकिन सरकारी नाव का अत्तापत्ता नही चल सका. सवाल यह है कि क्या सरकारी नाव कागज में चल रही है या सरकारी नाविक भी लोगों से पैसा वसूल कर ही अपनी पॉकेट गरम कर रहे है. यह जांच का विषय है.