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जिले में सामान्य से कम हुई बारिश

मोतिहारी : उत्तर बिहार में बाढ़ आपदा का कारण बारिश नहीं नेपाली पहाड़ी नदियां है. नेपाल से निकलने वाली नदियों ने चंपारण सहित कई जिला को डूबो दिया. इंडो-नेपाल सीमा क्षेत्र में छिछली नदियों के जलस्तर में अचानक हुई वृद्धि से बाढ़ जैसी आपदा आयी. यहां तो सामान्य वर्षापात से भी कम बारिश हुई है. […]

मोतिहारी : उत्तर बिहार में बाढ़ आपदा का कारण बारिश नहीं नेपाली पहाड़ी नदियां है. नेपाल से निकलने वाली नदियों ने चंपारण सहित कई जिला को डूबो दिया. इंडो-नेपाल सीमा क्षेत्र में छिछली नदियों के जलस्तर में अचानक हुई वृद्धि से बाढ़ जैसी आपदा आयी. यहां तो सामान्य वर्षापात से भी कम बारिश हुई है. कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल के रिकॉर्ड में वर्ष 2017 में अबतक सबसे कम बारिश हुई है. जून, जुलाई एवं अगस्त मूलत:

तीन माह के रेनिंग सीजन में इस साल महज 452.2 एमएम बारिश हुई है. इसमें अगस्त माह के सामान्य वर्षापात 278‍.30 एमएम के विरूद्ध 18 अगस्त तक 256.20 एमएम वर्षापात रिकॉर्ड की गयी है. जबकि 15 अगस्त तक महज 218 एमएम बारिश हुई है. ऐसे में नेपाल से आयी पानी के कारण ही चंपारण सहित कई जिलों में बाढ़ आपदा का संकट उत्पन्न हुई है. जिससे पूर्वी चंपारण के 20 जिला प्रभावित हैं, इसमें अधिकांश क्षति सीमाई प्रखंड रक्सौल,आदापुर, छौड़ादानो, बनकटवा, घोड़ासहन व ढाका के अलावा रामगढ़वा, सुगौली एवं बंजरिया में हुई है. वही इन प्रखंडों में आयी बाढ़ की पानी फैलने से मोतिहारी नप क्षेत्र सहित सदर प्रखंड, चिरैया,पकड़ीदयाल एवं मधुबन में जानमाल की क्षति हुई है.

जून, जुलाई व अगस्त तीन माह का वर्षापात
वर्ष 2014 470.44 एमएम
वर्ष 2015 657.96 एमएम
वर्ष 2016 452.2 एमएम
वर्ष 2017 352.24 एमएम

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