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शव यात्रा की थी तैयारी, अंगुली हिलते ही पहुंचे अस्पताल

12 बजे दिन में मरने की बात, पांच बजे शाम को जिंदा होने का हुआ आभास रक्सौल : शहर के नागा रोड मोहल्ला निवासी ईश्वर प्रसाद की पत्नी कांति देवी को श्मशान घाट ले जाने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. घर के बाहर पचाठी बना ली गयी थी. बाजार से कफन की साड़ी, दाह […]

12 बजे दिन में मरने की बात, पांच बजे शाम को जिंदा होने का हुआ आभास

रक्सौल : शहर के नागा रोड मोहल्ला निवासी ईश्वर प्रसाद की पत्नी कांति देवी को श्मशान घाट ले जाने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. घर के बाहर पचाठी बना ली गयी थी. बाजार से कफन की साड़ी, दाह संस्कार के लिए धूप, तील, घी खरीदे जा चुके थे. श्मशान घाट में चार क्विटंल लकड़ी पहुंचायी जा चुकी थी. अचानक, कुछ महिलाओं ने कहा कि कांती के हाथ की अंगुली में खिचाव दिखा है. फिर आनन-फानन में कंपाउंडर दिलीप को बुलाया गया. उसने भी कांति के हाथ की नशों को पकड़ा और कहा कि नाड़ी चल रही है.
इन्हे जल्दी अस्पताल ले जाइये. ईश्वर प्रसाद के दरवाजे पर पहुंचे लोगों ने इधर-उधर दौड़ कर जल्दी अस्पताल ले जाने के लिए वाहन खोजने लगे. कुछ ही पल में एक टेंपो लाया गया और कांति देवी के शहर के डंकन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कर दिया गया, जहां इलाज जारी है.
ज्ञात हो कि कांति के पति ईश्वर प्रसाद व एकलौते पुत्र प्रभात, पतोहु किरण देवी को दिन के 12 बजे यह एहसास हुआ कि कांति की तबीयत बिगड़ रही है. उन्हे इलाज के लिए घर से अस्पताल के लिए ले जाया गया. लेकिन रास्ते में ही परिजनों को एहसास हुआ कि कांती की इहलीला समाप्त हो गयी है और वे लोग मरा हुआ समझ कर 12 बजे दिन में घर वापस आये. घर में रोने-चिल्लाने का दौड़ शुरू हो गया. घर के बड़े से लेकर बच्चे तक आंसू बहाने लगे. चिखने-चिल्लाने लगे. मोहल्ले की महिलाएं अंतिम दर्शन के लिए ईश्वर प्रसाद के घर पहुंचने लगी. सबने उन्हें मरा हुआ ही मान लिया और फूल अक्षत चढ़ाकर अंतिम विदाई देने लगे. बांस की पचाठी से लेकर श्मशान घाट तक लकड़ी पहुंच गयी. इतने में लगभग 5 बजे शाम को एक महिला विद्या देवी जो कांती के घर में किरायादार है ने कहा कि हमने अभी-अभी देखा है कि इनके हाथ में खिचाव हुआ है फिर कंपाउंडर को बुलाया गया और उसने भी विद्या देवी की बात को पुष्टि की और कहा कि कांति अभी जिंदा है. शव यात्रा में जाने के लिए घर के बाहर खड़े सभी लोग उन्हे डंकन अस्पताल ले गये और कांति की अंतिम यात्रा रूक कर अस्पताल की तरफ रुख कर गयी. कई लोगों ने विद्या देवी को ध्न्यवाद दिया कि इन्ही की वजह से कांती का दाह-संस्कार नही हुआ. नहीं तो कहीं बड़ा अनिष्ट हो जाता और कांति को मरा हुआ समझकर अंतिम संस्कार कर दिया जाता. स्थानीय निवासी आशा देवी, फूलवंती देवी, रंजू देवी, गीता देवी सहित अन्य महिलाएं कांती देवी के अब स्वस्थ्य होने की कामना ईश्वर से कर रही थी.

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