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जय प्रकाश नारायण बस अड्डा से नगर परिषद को होती है लाखों रुपये की आय, फिर भी यात्रियों की सुविधाएं नदारद

जिला मुख्यालय स्थित जयप्रकाश नारायण अन्तरर्राज्यीय बस अड्डा अपने निर्माण काल से लेकर अबतक बदहाल है. जबकि नगर परिषद को लाखों रुपये का राजस्व बस अड्डा से प्राप्त होता है. मगर यात्री सुविधाएं यहां नदारद है.

बक्सर.

जिला मुख्यालय स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराज्यीय बस अड्डा अपने निर्माण काल से लेकर अबतक बदहाल है. जबकि नगर परिषद को लाखों रुपये का राजस्व बस अड्डा से प्राप्त होता है. मगर यात्री सुविधाएं यहां नदारद है. यह केवल नगर परिषद का आय का स्रोत बनकर रह गया है. बस अड्डा पर कोई विकास का कार्य नहीं होने से वह बदहाल बना हुआ है. बस अड्डा में कोई भी मूलभूत सुविधा यात्रियों को नहीं मिलती है. जबकि जय प्रकाश बस अड्डा से प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्री का आना जाना होता है. जहां यात्रियों के लिए न तो पर्याप्त शौचालय है न यूरिनल की व्यवस्था की गई है. जिसके कारण यात्रियों को खुले में ही यूरिन का त्याग करना पड़ता है. वहीं साफ सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति किया जाता है.बस अड्डा परिसर में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. इसके साथ ही बस अड्डा के बीच में ही गहरा खाई कई जगहों पर है. जहां वाहनों को खड़ा करने में भी परेशानी का सामना करना पडता है. न चाहरदीवारी है और न ही बस अड्डा की घेराबंदी किया गया है. जिसके कारण बस स्टैंड असुरक्षित है तथा रात को ठहरने वाले वाहन चालक व सहचालक अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं. बस अड्डा से प्रतिदिन एक दर्जन से ज्यादा की संख्या में बसें टाटा, रॉची, धनबाद, बोकारों एवं कोलकाता के लिए खुलती है. इन वाहनों में यात्रा करने के लिए यात्रियों को घंटों बस अड्डा परिसर में इंतजार करना पड़ता है. जिससे यूरिन त्याग को लेकर परेशानी झेलनी पड़ती है. सबसे ज्यादा महिलाओं को परेशानी होती है. ना व्यवस्थित शौचालय है और ना ही पेयजल की व्यवस्था की गई है और ना ही ठहरने के लिए आश्रय स्थल की ही व्यवस्था है. बस अड्डा परिसर में बसों को खड़ा होने के लिए भी पर्याप्त सुविधा नहीं है. बस पड़ाव में तालाब जैसे बड़े बड़े गढ्ढे कायम हो गया है. जहां बरसात के दिनों में वाहन पर सवार होने में भी परेशानी का सामना यात्रियों को करना पड़ता है.

कभी कभी होता है साफ-सफाई :

एक तरफ देश में सफाई अभियान चलाया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर नगर परिषद लाखों को लाखों का राजस्व देने वाला बस अड्डा सफाई की बजाय गंदगी में तब्दील है. नगर के बस पड़ाव में स्वच्छता का नामोनिशान नहीं है. चारों तरह कचरा फैला हुआ है. नगर परिषद से कभी भी साफ-सफाई नहीं कराई जाती है. जिसके कारण बस अड्डा में चारों तरफ धुल व मिट्टी भरा पड़ा है. किसी वाहन के बस अड्डा में प्रवेश करने मात्र से उड़ने वाली गंदगी से घूटन महसूस होने लगता है.

नहीं है यूरिनल की व्यवस्था :

बस अड्डा से जिले के विभिन्न जगहों के अलावे अंतरजिला एवं अंर्तराज्यीय स्तर पर बसों का संचालन होता है. जहां प्रतिदिन 100 की संख्या में विभिन्न राज्यों के लिए बसों का संचालन होता है. जहां यात्रा को लेकर प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग पहुंचते है. जहां लोगों को काफी समय बिताना पड़ता है. इस दौरान पुरुषों के साथ ही महिलाओं को सर्वाधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है.

क्या कहते हैं लोग

यहां से काफी संख्या में लोगों का बस अड्डा से प्रतिदिन आवागमन है लेकिन बस अड्डे में नगर परिषद् के द्वारा ना तो यूरिनल की कोई सुविधा है. जिसकी वजह से इतना बदबू आता है कि सांस लेने में असुविधा होती है.

-मुन्ना सिंह

बलिया से रांची जा रहे ऋषभ कुमार ने बताया कि न पानी पीने के लिए बस स्टैंड में कोई चापाकल नहीं हैं. यही नहीं गर्मी में यात्रियों के बैठने के लिये भी सुविधा नहीं है. –

ऋषभ सिंह बलिया

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