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गंगा का फिर बढ़ने लगा जल स्तर
बक्सर में .01 मीटर की रफ्तार से बढ़ रहा पानी बक्सर : रविवार से गंगा नदी के जल स्तर में गिरावट के साथ ही प्रशासन बेफिक्र होने लगा था, लेकिन बुधवार से प्रशासनिक महकमें में एक बार फिर बेचैनी बढ़ गयी है. नदी के जल स्तर में दो दिनों तक हुई गिरावट के बाद फिर […]
बक्सर में .01 मीटर की रफ्तार से बढ़ रहा पानी
बक्सर : रविवार से गंगा नदी के जल स्तर में गिरावट के साथ ही प्रशासन बेफिक्र होने लगा था, लेकिन बुधवार से प्रशासनिक महकमें में एक बार फिर बेचैनी बढ़ गयी है. नदी के जल स्तर में दो दिनों तक हुई गिरावट के बाद फिर से पानी बढ़ने लगा है.
बुधवार की सुबह आठ बजे 59.79 मीटर था, जो दोपहर तीन बजे 59.86 मीटर दर्ज की गयी. विभाग के अनुसार बक्सर में गंगा नदी का जल स्तर 0.01 मीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है. मंगलवार को जल स्तर 59.69 मीटर एवं सोमवार को 59.86 मीटर दर्ज किया गया था. इस बाबत बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सिद्देश्वर साह ने बताया कि इलाहाबाद एवं बनारस में गंगा के जल स्तर में. 02 मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. उल्लेखनीय है कि गंगा नदी का जल स्तर चेतावनी के निशान से 0.54 मीटर ऊपर है. वहीं, खतरे के निशान से 0.46 मीटर नीचे है. पानी के बढ़ने के साथ ही बाढ़ग्रस्त इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है.
रामरेखा घाट से हटा लिया गया बैरिकेडिंग : एक ओर गंगा नदी के जल स्तर में बढ़ोतरी जारी है. तो, वहीं दूसरी ओर रामरेखा घाट पर लगा बैरिकेडिंग हटा लिया गया है. बैरिकेडिंग हटने से दुर्घटना की संभावना बढ़ गयी है. आसपास के लोग एवं श्रद्धालु गंगा नदी में नहाने के लिए डूबकी लगा रहे, जो खतरे से खाली नहीं है.
इस बाबत सदर एसडीओ गौतम कुमार ने कहा कि श्रावण माह में रविवार एवं सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए रामरेखा घाट पर नावों की मदद से बैरिकेडिंग की गयी थी. फिलहाल बैरिकेडिंग हटा ली गयी है. हालांकि सुरक्षा के तौर पर घाट पर एक गोताखोर की तैनाती की गयी है. जरूरत पड़ने पर बैरिकेडिंग हो सकती है. साथ ही, घाट पर होमगार्ड भी तैनात है.
चौसा : गंगा का जल स्तर बढ़ने से बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोग फिर से भयभीत होने लगे हैं. पिछले तीन दिनों से गंगा का जल स्तर घट रहा था. दोबारा पानी बढ़ने से लोगों में पानी में डूबी फसलों के उबरने की रही सही उम्मीद भी जाती दिख रही है. वहीं, पशुओं के चारे के लाले पड़ने लगे हैं. पानी में डूबा चारा सड़ने लगा है. पानी घटने से लोग पशुचारा को बचने की उम्मीद में बैठे थे. लेकिन अब वह उम्मीद टूटने लगी है.
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