80 करोड़ से विकसित होगा चौसा का युद्ध स्थलबीडीओ ने भेजा प्रस्तावपर्यटन स्थल बनो जाने का प्रारंभिक काम हुआ पूराफोटो-18-खुदाई में मिली टेराकोटा की मूर्ति. फोटो-19-चौसा का विजय स्तंभ चौसा. ऐतिहासिक शेरशाह विजय स्थली चौसा को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार की तैयारी अब शुरू हो गयी है. इसके लिए 80 करोड़ का प्रस्ताव बना कर सरकार को भेजा गया है. विश्व प्रसिद्ध अफगानी शासक शेरशाह और मुगल बादशाह हुमायूं की युद्ध भूमि व शेरशाह की विजय स्थली का बहुत जल्द काया कल्प होनेवाला है. सरकार के विशेष सचिव द्वारा जिला विकास शाखा, बक्सर से उक्त स्थली पर पर्यटन की संभावना को देखते हुए रिपोर्ट मांगे जाने पर प्रभारी पदाधिकारी जिला विकास शाखा के निर्देश के आलोक में बीडीओ अरविंद कुमार सिंह के निर्देश पर प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी संतोष कुमार सिंह के द्वारा प्रखंड के पर्यटक स्थल के रूप में मशहूर शेरशाह सूरी विजय स्थली चौसा को पर्यटक स्थल के रूप में सौंदर्यीकरण के लिए जांच करने के पश्चात उक्त युद्ध स्थली पर पर्यटन की दृष्टि से क्या-क्या संभावित कार्य किया जा सकता है, उसका प्रस्ताव डीएम को भेज दिया गया.इन का कार्यों के लिए भेजी गयी सूचीचौसा युद्ध स्थली को विकसित करने के लिए शेरशाह विजय स्थल पहुंच पथ चौसा बक्सर मुख्य मार्ग पर बारामोड़ पर गेट निर्माण, पहुंच पथ से चौसा मैदान तक जानेवाली सड़क की पीसीसी ढलाई व दोनों तरफ नाली निर्माण, सड़क के दोनों तरफ स्ट्रीट लाइट, भूखंड का मापन कर सुनियोजित ढंग से चाहरदीवारी निर्माण, संग्रहालय, शौचालय, गेस्ट हाउस, पार्क का निर्माण, पेयजल की व्यवस्था, शीलापट्ट पर शेरशाह और हुमायूं के बीच युद्ध का सचित्र नक्कासी करना, पर्यटन विभाग द्वारा खुदाई का कार्य समय सीमा में करवाते हुए चारों तरफ मनरेगा से पौधारोपण, रेलवे स्टेशन चौसा पर स्थल मार्ग एवं युद्ध स्तंभ का नक्कासी, मैदान पर पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैंड से पर्यटन विभाग से गाड़ी का संचालन करने आदि का अनुमानित करीब 80 करोड़ का प्रस्ताव जिला विकास शाखा को भेजा गया है.जी हां, यह वही जगह है जहां 26 जून 1539 को चौसा में हुए उस ऐतिहासिक युद्ध, जिसमें मुगल साम्राज्य को शिकश्त देकर दिल्ली की गद्दी पर कब्जा जमानेवाले अफगानी शासक शेरशाह ने महज एक घंटे के युद्ध में मुगल शहंशाह हुमायूं को अपनी जान बचाने के लिए उफनती गंगा नदी में कूदकर भागने को मजबूर कर दिया था. जिला मुख्यालय से मात्र दस किलोमीटर पश्चिम बक्सर-सासाराम मुख्य मार्ग पर स्थित चौसा वह स्थान है जिसने हिंदुस्तानी सल्तनत के तीन-तीन बादशाहों को बनते बिगड़ते पला बढा है.अफसोस है कि आजतक इस एतिहासिक धरोहर को संजोने का सफल प्रयास कोई सरकार ने नहीं उठाया. युद्ध मंे अपनी जान बचाने गंगा की उफनती लहरों के बीच डूब रहे हुमायूं को यहीं के रहने वाले निजाम नाम के भिस्ती ने अपनी मशक के सहारे डूबने से बचा दिया. इस एहसान के बदले हुमायूं ने निजाम को एक दिन के लिए दिल्ली के तख्त पर बिठाया. अपने एक दिन की बादशाहत में भिस्ती ने चमडे़ का सिक्का चलवा दिया. हमारी मिट्टी पर वीरता की इबादत लिखने वाले शेरशाह ने अपनी पांच वषार्ें के शासनकाल में ग्रैंड ट्रंक रोड, सरायखाने, वृक्षारोपण तथा सिक्कों का प्रचलन कराने के साथ राजस्व वसूली, भूमि पैमाईश की खोज की. जिस ऐतिहासिक सरजमीं ने एक ऐसे बादशाह का उदय कराया जिसकी प्रशासनिक क्षमता, सैन्य योग्यता, युद्ध नीति में स्वयं नेतृत्वकर्ता, मानवता व भारतीय संस्कृति का परिचायक व प्रेरणा का स्रोत आज भी हिन्दुस्तान में कायम है. परंतु आज तक इस युद्ध स्थली को सुरक्षित-संरक्षित रखने की कोई ठोस पहल नहीं हो सकी जबकि सरकार द्वारा 2013 में उक्त लड़ाई के मैदान के गढ़ की कराई जा रही खुदाई के दौरान पाल व गुप्त वंश की प्राचीन मूर्तियां समेत ईसा पूर्व से करीब पांच हजार वर्ष पहले की मानव सभ्यता का अवशेष को अपने अंदर छुपाये चौसा गढ अब भी उपेक्षति है. हालांकि सुबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब 2012 में अपनी बक्सर जिला के सेवा यात्रा के दौरान चौसा का गढ़ देखने आये तो यहाँ का रमणीय दृश्यों को देख युद्ध स्थली को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की बात कही थी और यहाँ म्यूजियम बनाकर खुदाई मे मिली वस्तुओं को रखने का भी एलान किया था जिससे पर्यटक पहंुच सके. उक्त प्रस्ताव की मांग को मुख्यमंत्री की सेवा यात्रा के दौरान किये गये वादे को अमल में लाने के प्रयास के रु प में देखा जा रहा है. नये साल में राज्य सरकार की उक्त प्रयास से स्थानीय लोगों,समाजसेवी व प्रबुद्ध जनों में चौसा का ऐतिहासिक युद्ध भूमि की धरोहर को संजोए जाने की आशा दीखने लगी है.कहते हैं बीडीओबीडीओ अरविन्द कुमार सिंह ने बताया कि चौसा युद्ध भूमि को पर्यटक स्थल के रूप में विकिसत करने के लिए सरकार ने संभावनाओं की रिपोर्ट की मांग की गई है, जिसका प्रस्ताव ्रबनाकर जिला में भेज दिया गया है.कहते हैं प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि चौसा प्रखंड के पर्यटक स्थल के रूप में शेरशाह सुरी विजय स्थली को पर्यटक स्थल के रूप में विकिसत करने के लिए सौंदर्यीकरण के लिए बिंदुवार प्रस्ताव अगस्त 2015 और जनवरी 2016 में जिला विकास शाखा में भेजी जा चुकी है. चौसा गढ़ को पर्यटक स्थल के रूप में विकिसत करने के लिए करीब 80 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है.2. एक माह से बंद है वसुधा केंद्र, हो रही है परेशानी -वोटर आइडी के लिए भटक रहे हैं लोग फोटो-14-बंद पड़ा वसुधा केंद्र की खिड़की बक्सर. आम लोगों को सरकारी दस्तावेज व पहचान पत्र बनवाने के लिए हर जिले में वसुधा केंद्र खोला गया है. लेकिन पिछले एक माह से वसुधा केंद्र बंद पड़ा है जिससे आम लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. केंद्र के खुलने के इंतजार में हर दिन लोग केंद्र का चक्कर लगा रहे हैं. स्थानीय अनुमंडल कार्यालय स्थित वसुधा केंद्र बंद पड़ा है. जिससे वोटर आइडी, जाति, आवास समेत अन्य प्रमाण पत्र के लिए लोग परेशान हैं. सबसे ज्यादा परेशानी मतदाता पहचान पत्र बनवाने वाले लोगों को हो रही है. दरअसल बीएलओ की लापरवाही के कारण शहर के सैकड़ों लोगों को पहचान पत्र नहीं मिल पाया है. ऐसे में लोगों के लिए वसुधा केंद्र एक वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में था. जहां से 30 रुपये देकर लोग अपना वोटर आइडी मिनटों में बनवा लेते हैं. लेकिन केंद्र के बंद रहने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. नगरवासी संतोष चौरसिया ने बताया कि उनका वोटर आइडी गुम हो गया है. ऐसे में उन्हें आइडी की अति आवश्यक है. केंद्र बंद रहने से उन्हें बीएलओ खुशामद करना पड़ रहा है. आदिल अख्तर ने बताया कि अपने रिश्तेदार में एक विधवा महिला का पेंशन बनवाना है. लेकिन महिला के पास पहचान पत्र के रूप में मात्र वोटर आइडी कार्ड था जो गुम हो गया है. ऐसे में उन्हें तत्काल राहत के लिए केंद्र का सहारा था लेकिन केंद्र बंद रहने से उनकी परेशानी बढ़ गयी है. केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले एक माह से तकनीकी खराबी के कारण केंद्र बंद रखा गया है.
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