चौगाईं/केसठ : गांव में कहने के तो लगभग आधा दर्जन तालाब हैं, लेकिन सभी तालाब सूखे पड़े हैं. बस तालाब के नाम पर यादें तक रह गयी हैं. इस पर कभी भी जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं जाता है.
लिहाजा तालाब में पानी नहीं होने से छठ व्रतियों को चिंता सता रही है कि इस बार कैसे भगवान भास्कर को अर्घ पड़ेगा. सबसे खराब स्थिति स्व. लल्लू सिंह के पोखरा का है, जो बिल्कुल ही सूख गया है. इस तालाब पर विभिन्न गांवों से हजारों हजार की संख्या में लोग छठ करने के लिए आते हैं,
लेकिन तालाब में पानी नहीं होने के चलते छठव्रती चिंतित हैं. ये नहीं की सरकारी तौर पर तालाब की मरम्मत नहीं की गयी है, लेकिन मरम्मती के नाम पर जम कर खानापूर्ति की गयी है. जानकारी के अनुसार स्व. लल्लू सिंह के पोखरा के मरम्मती के नाम पर मनरेगा के द्वारा चार लाख 80 हजार की निकासी कर मरम्मती के नाम पर जम कर खानापूर्ति की गयी है.
वहीं, केसठ प्रखंड के डुमरांव रजवाहा, सिकरिया रजवाहा, केसठ वितरणी तीन, बरांव रजवाहा समेत अन्य नहरों में पानी नहीं आने के कारण छठ करनेवाले व्रतियों में मायूसी देखी जा रही है. प्रखंड के कतिकनार, खरवनिया, महादेवगंज, दसियांव, केसठ, रामपुर, बैजनाथपुर समेत दर्जनों गांवों के हजारों लोग नहर के किनारे घाट बनाकर लोक आस्था का पर्व छठ व्रत करते हैं. वहीं, जहां पानी है भी वहां सफाई नहीं होने से व्रती गंदे पानी में ही अर्घ देने को मजबूर होंगे.
अंचलाधिकारी कुमार नलिनीकांत ने बताया कि प्रखंड के विभिन्न गांवों में जलाशयों की सफाई छठ पूजा समितियों के साथ मिल कर करा दी जायेगी.
विदित हो कि लोक आस्था के पर्व छठ को लेकर व्रती तैयारी में जुट गये हैं. इसके विकल्प के लिए व्रतियों को अब कोसो दूर तालाब के किनारे जाना पड़ेगा. छठ घाटों की सफाई को लेकर अब तक कोई पूजा समितियां अभी तक सफाई अभियान शुरू नहीं की है.