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रक्षाबंधन आज, ब्रेसलेट राखियों की चमक से सजेगी भइयों की कलाई

बक्सर/ डुमरांव : राखी महज रेशम का तार नहीं होती, यह यह भाई-बहन का वह प्यार हो, जो इस रिश्ते की पवित्रता को दिन दुना और रात चौगुना बढ़ाते रहता है. इस रिश्ते की तासीर को ब्रेसलेट राखियों की चमक मिलनेवाली इस वर्ष. इस बार के रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाई पर ब्रेसलेट की राखियां […]

बक्सर/ डुमरांव : राखी महज रेशम का तार नहीं होती, यह यह भाई-बहन का वह प्यार हो, जो इस रिश्ते की पवित्रता को दिन दुना और रात चौगुना बढ़ाते रहता है.

इस रिश्ते की तासीर को ब्रेसलेट राखियों की चमक मिलनेवाली इस वर्ष. इस बार के रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाई पर ब्रेसलेट की राखियां ज्यादा दिखेंगी.

समय के साथ परंपरा के इस पर्व पर भी फैशन का असर पड़ा है. केसठ. प्रखंड में रक्षा बंधन त्योहार को लेकर चहल-पहल देखी गयी. रक्षाबंधन के त्योहार को लेकर नया बाजार, पुराना बाजार में बहनें अपने भाई के लिए बाजार में विभिन्न प्रकार की राखियों को खरीदी. वहीं, मिठाई की दुकानों पर भी भीड़ देखी गयी.

बक्सर : रक्षा बंधन का त्योहार आज है. भाई और बहन के बीच प्रेम के अटूट रिश्तों का बंधन राखी की पूरी तैयारी लोगों ने कर ली है.

हिंदू समाज में बहन अपनी भाई की कलाई पर रक्षा बांधती है और स्नेह जताती है, पर मारवाड़ी समाज की लड़कियां अपने भाई के साथ भाभी को भी राखी बांधती हैं. खास बात यह है कि भाभी को बांधी जानेवाली राखी ‘लुंबा’ के नाम से इस समाज में प्रचलित है.

गणोश और लक्ष्मी की होती है पूजा

शहर में करीब 70 परिवार मारवाड़ी समाज से हैं. सभी घरों में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है.

सबसे पहले भगवान गणोश और लक्ष्मी को दीवार में खीर या लड्डू से चिपकाया जाता है. लोग इनकी पूजा करते हैं और फिर बहन अपने भाई के कलाई पर राखी और भाभी के कलाई पर ‘लुंबा’ राखी बांधती हैं. इस परंपरा में केवल भाई ही नहीं गिफ्ट देता, बल्कि भाभी भी ननद को गिफ्ट देती है.

कहां से शुरू हुई परंपरा : राजस्थान राज्य मारवाड़ी समाज का मूल निवास है. इस राज्य में राखी को अलग तरीके से मनाने की परंपरा वर्षो से चली आ रही है. इसके पीछे की कहानी को लोग नहीं जानते, पर यह समाज देश में जहां भी है, वह इसे अपने समाज की रीति रिवाज से मनाते हैं.

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