बक्सर : आसमान से बादल बरस रहे थे और आंखों से आंसू. पता नहीं घर पहुंच पायेंगे या नहीं यह सोच उत्तराखंड के पहाड़ियों में फंसे उन लोगों की थी जो चारों धाम की यात्रा पर गये थे. प्राकृतिक आपदा में कइयों का साथ छूट गया, तो कई परिजनों की तलाश में भटक रहे थे.
चारों धाम की यात्रा से सोमवार की शाम हावड़ा हरिद्वार से सकुशल लौटे बक्सर के 40 तीर्थ यात्रियों ने यह हाल बयां किया.
चारों धाम की यात्रा पर गये मदन प्रसाद गुप्ता ने बताया कि स्थिति इतनी भयावह है जिसका बयां करना मुश्किल है. प्राकृतिक आपदा ने न सिर्फ तबाही मचायी, बल्कि आज भी पहाड़ियों में कई जीवन संकट में फंसा हुआ है. पहाड़ियों में फंसे लोग पानी, भोजन के लिए परेशान हैं. हर पल ऐसा लग रहा था जैसे मौत के मुहाने पर खड़े हैं और कभी भी मौत उनकी जिंदगी लील जाएगी.
ब्रह्मपुर चौरस्ता के चंद्रहास मिश्र चारों धाम की यात्रा पर गये, लेकिन इस यात्रा पर उनकी विधवा भाभी का साथ छूट गया. चंद्राहास कहते हैं कि प्राकृतिक आपदा जैसे ही शुरू हुआ, वह नीचे की ओर जा रहे थे. चट्टानों को टूट कर गिरते हुए आंखों से देखा.
चट्टानों में दबते हुए लोगों की चीखों से उनके आंखों के आगे अंधेरा छा गया. किसी तरह पहाड़ियों को लांघते हुए सुरक्षित स्थान पर पहुंचे, लेकिन चट्टानों के नीचे दबते इंसानों को देख उनकी भाभी चंद्रवती देवी को ऐसा सदमा लगा कि इलाज के लिए ले जाते वक्त ही दम तोड़ दिया.
वह कहते हैं कि चारों धाम की यात्रा पर खुशी से गये थे, लेकिन अपना सब कुछ गंवा कर लौटे हैं. भाभी को खोने का सदमा उन्हें परेशान कर दिया है. वहीं उन्हें इस बात का शुकून है कि केदार बाबा की कृपा से वे चट्टानों के नीचे दबे नहीं. सुरक्षित निकल आये.