कार्रवाई. बकाया जमा नहीं करने के मामले की जांच कर रही सीआईडी
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83 मिल संचालकों पर कसा शिकंजा
कार्रवाई. बकाया जमा नहीं करने के मामले की जांच कर रही सीआईडी मिलरों की संपत्ति के आकलन में जुटी सीआईडी डिफॉल्टरों की जमानत होगी खारिज, जायेंगे जेल, जब्त होगी संपत्ति बक्सर : जिले के 83 डिफाल्टर राइस मिल संचालकों से करीब 95 करोड़ 39 लाख 65 हजार रुपये वसूल की जायेगी. कोर्ट की आदेश के […]
मिलरों की संपत्ति के आकलन में जुटी सीआईडी
डिफॉल्टरों की जमानत होगी खारिज, जायेंगे जेल, जब्त होगी संपत्ति
बक्सर : जिले के 83 डिफाल्टर राइस मिल संचालकों से करीब 95 करोड़ 39 लाख 65 हजार रुपये वसूल की जायेगी. कोर्ट की आदेश के बाद सभी डिफाल्टर राइस मिल संचालकों में हड़कंप मच गया है. जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने जिले के सभी डिफाल्टर राइस मिल संचालकों को बैंक गारंटी के रूप में बकाये सीएमआर के रुपये को जमा करने का निर्देश दिया था. जिसके आलोक में राज्य खाद्य निगम ने 157 डिफाल्टर राइस मिल संचालकों को नोटिस भेजकर रुपये जमा करने का निर्देश दिया था, लेकिन 74 संचालक ने अब तक बैंक गारंटी के रूप में करीब 47 करोड़ लाख 26 लाख 80 हजार रुपये जमा किया है.
अब भी डिफाल्टर मिलरों के पास करीब 95 करोड़ रुपये बकाया है. यह बकाया वित्तीय वर्ष 2011-12, 12-13 व 13-14 का है. जिस पर एसएफसी के जिला प्रबंधक ने विभाग के वरीय अफसरों को रिपोर्ट भेज दी है.
बकाया जमा नहीं किया तो संपत्ति भी जब्त होगी : जिले के डिफाल्टर राइस मिल संचालकों पर बकाये रुपये की वसूली व दायर मुकदमों की सुनवाई के लिए बक्सर में स्पेशल कोर्ट का गठन किया गया है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को बक्सर में स्पेशल कोर्ट गठित करने का निर्णय दिया था. इसकी बाद एसएफसी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया है. जिसमें जिले में डिफाल्टर राइस मिलों पर दायर किये गये सभी मुकदमों की सुनवाई की जा रही है. स्पेशल कोर्ट में सभी राइस मिलरों के मुकदमों की सुनवाई करीब नौ माह में पूरी कर ली जायेगी. इसके बाद भी सभी डिफाल्टरों पर कार्रवाई की जायेगी. कोर्ट के निर्णय के बाद ही डिफाल्टरों पर कितना जुर्माना और संपत्ति जब्त की प्रक्रिया शुरू की गयी है. सभी डिफाल्टर राइस मिल संचालकों को जेल भी जाना पड़ सकता है. बेल रिजेक्ट होने के बाद सभी राइस मिलरों को गिरफ्तार कर जेल भेजे जायेंगे.
आरटीआई से हुआ खुलासा यह है पूरा मामला : राज्य में हुए सीएमआर चावल घोटाले का मामला तब सुर्खियों में जब आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय राय को राज्य खाद्य निगम ने सूचना उपलब्ध करायी. सूचना के अनुसार वर्ष 2011-12, 2012-13 2013-14 में जिले के 157 राइस मिल संचालकों ने एसएफसी को चावल देने के लिए सीएमआर राशि का उठाव कर लिया. लेकिन राइस मिल संचालकों तो न चावल दिया और न ही राशि ही लौटायी. जिसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. जिस पर सुनवाई के बाद सभी मिलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी थी. इसके बाद राइस मिलों को डिफाल्टर घोषित कर सील कर दिया गया था. इस मामले को लेकर विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में भी वाद दायर किया था. जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने 28 फरवरी को एक माह के अंदर सभी डिफाल्टर राइस मिल संचालकों को बैंक गारंटी के रूप में बकाया राशि जमा करने का निर्देश दिया था. लेकिन अब तक 83 राइस मिलरों ने बैंक गारंटी की राशि जमा नहीं की है.
आंकड़ों पर एक नजर
वर्ष 2011-12 में 99 मिलरों पर अभी बकाया- 63 करोड़ रुपये
वर्ष 2011-12 में 47 मिलरों से वसूल की गयी राशि – 42 करोड़ रुपये
वर्ष 2012-13 में 51 मिलरों पर बकाया 31 करोड़ 59 लाख रुपये
वर्ष 2012-13 में 23 मिलरों से वसूल की गयी राशि- पांच करोड़ 75 लाख रुपये
वर्ष 2013-14 में सात मिलरों पर बकाया – एक करोड़ 87 लाख रुपये
वर्ष 2013- 14 में एक मिलर से वसूली 26 लाख 80 हजार रुपये
जब तक जमा नहीं करेंगे राशि जेल में रहना होगा
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सभी डिफाल्टर राइस मिल संचालकों ने बकाये राशि की 10 फीसदी राशि जमा कर जमानत ले ली थी. अब इन सभी राइस मिलरों का बेल रिजेक्ट करने के लिए विभाग कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दिया गया है. दो मिलरों की जमानत खारिज भी हो गयी है. वहीं दो के ऊपर गैर जमानतीय वारंट निर्गत है. सभी डिफाल्टर राइस मिल संचालकों को जेल भी जाना पड़ सकता है. बेल रिजेक्ट होने के बाद सभी राइस मिलरों को गिरफ्तार कर जेल भेजे जायेंगे.
जब तक वे पूरे बकाया राशि जमा नहीं करेंगे तक तक जेल में ही रहेंगे. अगर डिफाल्टर राइस मिल संचालक रुपये जमा नहीं करेंगे तो उनकी संपत्ति भी जब्त करने की कार्रवाई की जायेगी.
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